
कोलकाता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत एक मार्च को दिल्ली के एम्स में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccination In India) लगवाई और इसके साथ ही पूरे देश में वैक्सीनेशन अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत हो गई। इस मामले को लेकर विवादों का दौर भी शुरू हो गया है। दरअसल, कोरोना टीका लगवाने वालों को जो प्रमाणपत्र दिया जा रहा है, उस पर पीएम मोदी की तस्वीर लगी है। तृणमूल कांग्रेस ने इस पर विरोध जताया है। बुधवार को टीएमसी नेता चुनाव आयोग के अधिकारियों से मिलने पहुंचे और इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल ममता सरकार के मंत्री फरहाद हाकिम ने इसे सरकारी मशीनरी का जबरदस्त दुरुपयोग करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पेट्रोल पंपों पर लगी केंद्र सरकार की योजनाओं के विज्ञापन वाली होर्डिंग्स को हटाने के लिए भी चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारक रहने वाले हैं। एक राजनेता के रूप में, वह रैलियों के दौरान अपनी पार्टी के लिए समर्थन मांग रहे हैं। इस स्थिति में, टीकाकरण प्रमाणपत्रों में उनकी तस्वीर का इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने जैसा है।’
‘पेट्रोल पंपों पर लगी मोदी की तस्वीर भी हटाई जाएं’
हाकिम ने कहा, ‘हमने पेट्रोल पंपों पर केंद्रीय योजनाओं के विज्ञापन वाली होर्डिंग्स में उनकी (मोदी) तस्वीर हटाने के लिए चुनाव आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है।’ इससे पहले हाकिम ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा था, ‘चुनावों की घोषणा हो चुकी है। प्रधानमंत्री की तस्वीर कोविड-19 दस्तावेजों पर अभी भी दिखाई दे रही है। तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग के समक्ष इसे मजबूती के साथ उठा रही है।’
टीएमसी के आरोपों में दम नहीं: बीजेपी
वहीं, टीएमसी के इन आरोपों पर बीजेपी का जवाब आया है। बंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन आरोपों को आधारहीन बताया और कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले टीकाकरण अभियान शुरू हो गया था। घोष ने कहा, ‘यदि कोई सरकारी परियोजना चुनाव की घोषणा से पहले शुरू होती है, तो यह उसी रूप में जारी रह सकती है। पेट्रोल पंपों पर, होर्डिंग्स में केंद्र की कई कल्याणकारी परियोजनाओं का विज्ञापन किया गया है।’ उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग इस मुद्दे को देखेगा।