जोशीमठ में हाई रिस्क जोन को हटाया जाएगा, रिपोर्ट में भू-धंसाव की बात, पढ़ें पूरी खबर

-उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट का इंतजारः शासन

-जोशीमठ भू-धंसाव पर वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट

-रिपोर्ट का उपयोग डीपीआर में अध्ययन किया जाएगा

देहरादून (हि.स.)। जोशीमठ भू-धंसाव पर केन्द्र सरकार के आठ वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट आ गई है। हालांकि शासन का कहना है कि उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इसके बाद ही कुछ कहना सही होगा। रिपोर्ट का उपयोग डीपीआर बनाने में अध्ययन किया जाएगा। हाई रिस्क जोन से हर हाल में निर्माण को हटाया जाएगा। रिपोर्ट में ड्रेनेज, पानी के रिसाव के कारण चट्टानों के खिसकने से भू-धंसाव बात कही गई है।

आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने सोमवार को बताया कि वैज्ञानिक रिपोर्ट का कोई डायरेक्ट रिलेशन नहीं मिल रहा है। आठ संस्थानों की यह रिपोर्ट है। रिपोर्ट का आकलन किया गया है और परीक्षण चल रहा है। एक समरी के आधार पर पोस्ट डिजास्टर नीड स्टेटमेंट की रिपोर्ट भारत सरकार को प्रेषित की गई है। ये सारी रिपोर्ट्स का उपयोग डीपीआर में अध्ययन किया जाएगा। इस रिपोर्ट को कार्यदायी संस्थाएं को रिपोर्ट शेयर की गई है।

उन्होंने बताया कि ड्रेनेज के पानी का रिसाव, निर्माण कार्य ड्रेनेज ठीक नहीं होने से कटाव, अलखनंदा में आ रही पानी आने से स्लाइड के कारण को दर्शाया गया है। जब हम निर्माण करेंगे तो इन सारे विषयों का ध्यान रखेंगे। उन्होंने बताया कि एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी उसकी रिपोर्ट अभी आनी है। अभी कुछ भी कहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवो टेक्निकल रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट दर्शाया गया है। लूज मटेरियल पर जोशीमठ बसाया गया है।

जोशीमठ को 4 सेक्टरों में बांटा गया: आपदा सचिव ने बताया कि सर्वे करने के बाद जोशीमठ को 4 सेक्टरों में बांटा गया है। ब्लैक, रेड, येलो और ग्रीन। हल्का रिनोवेशन किया जा सकता है लेकिन कुछ इससे हाई रिस्क जोन है, जिन्हें चिन्हित कर लिया गया है। ब्लैक और रेड कैटेगरी में जो क्षतिग्रस्त मकान है, उनको पूर्णता हटाया जाएगा। साथ ही येलो कैटेगरी में जो निर्माण है उसकी पहले स्टडी की जाएगी और उसके बाद उसे पर कोई निर्णय लिया जाएगा, वहीं ग्रीन कैटेगरी में जो मकान है वह पूरी तरीके से सुरक्षित हैं।

केन्द्र ने 1465 करोड़ का डिमांड स्वीकार किया:

पीडीए रिपोर्ट पर तीन दौर के वार्ता के बाद अंतिम प्रपोजल लगभग 1800 करोड़ का भेजा गया था, जिसमें केन्द्र और राज्य दोनों का शेयर रहेगा। राज्य सरकार 336 करोड़ रुपये वहन करेगी। केन्द्र सरकार से 1465 करोड़ की डिमांड की गई थी, जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है। फिलहाल जोशीमठ में होने वाले कामों की डीपीआर बनाने का काम किया जा रहा है।

निर्माण को लेकर जगह के अनुसार गाइड लाइंस बनाया जाएगी। जब हम काम करेंगे तो इन सारे चीजों का ध्यान रखेंगे। फिलहाल कोई भी नया निर्माण नहीं होगा केवल छोटे निर्माण ही होंगे।

जोशीमठ आपदा भू-धंसाव को लेकर आई वैज्ञानिक रिपोर्ट को उत्तराखंड राज्य आपदा ओर से रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, आईआईटी रुड़की, एनजीआरआई, हैदराबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) 8 वैज्ञानिक संस्थाओं ने करीब 718 पन्नों की रिपोर्ट को तैयार की है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने सिस्मोलॉजी भू-भौतिकीय अनवेषण के साथ ही जियोफिजिकल सर्वेक्षण की 33 पेज की रिपोर्ट सौंपी है।

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