जमीन में आज भी बहुत से ऐसे रहस्य छुपे हैं जिसका अंदाजा कोई भी आम नागरिक नहीं लगा सकता है. बेटे दिनों पंजाब के एक डेरे में खुदाई के दौड़ान भी एक ऐसी चीज देखने को मिली है जिसे देखने के बाद वहां मौजूद तमाम लोगों के होश उड़ गए. आईये आपको बताते हैं की आखिर डेरे की खुदाई के दौड़ान ऐसा क्या मिला जिसने सबके होश उड़ा दिए. आईये जानते हैं की आखिर क्या है ये पूरा मामला.
पंजाब के इस शहर का है मामला
आपको बता दें की हम जिस डेरे में खुदाई का जिक्र कर रहे हैं वो दरअसल में पंजाब के बरनाला में स्थित है. इस डेरे का नाम सिरोमणि बाबा गांधा सिंह. बता दें की यहाँ जमीन की खुदाई के दौड़ान लोगों के होश तब उड़ गए जब उन्हें खुदाई के दौड़ान करीबन 23 फीट चौड़ा सूखा तालाब मिला. आपको जानकर बेशक हैरानी होगी की खुदाई के दौरान मिले इस सूखे तालाब को फिर से नया रूप देने के लिए डेरा प्रमुख ने इसकी पूरी जिम्मेदारी ली है और दिन रात यहाँ मजदूर काम कर रहे हैं ताकि वो इस तालाब का एक फिर से निर्माण कर सकें.
जब खुदाई के दौड़ान ये तालाब लोगों को मिली तो पता चला की कई वर्ष पहले भी इस तालाब का निर्माण बारीक इट और चुने पत्थर से हुआ था. इस तालाब के अबशेष मिलने के बाद से ही यहाँ इस डेरे के प्रमुख ने ये फैसला कर लिया की वो एक बार फिर से वर्षों पुराने इस तालाब में जान डाल देंगे और इसलिए वहां रात दिन खुदाई चल रही है. हालाँकि तालाब मिलने के बाद पुरातत्वा विभाग को बुलाया गया तो वो इस बात का तो अंदाजा नहीं लगा पाए की ये तालाब है किस काल का लेकिन एक बात की पुष्टि जरूर होगयी की ये सूखा तालाब कई वर्ष पुराना है. खुदाई के दौड़ान मिले इस सूखे तालाब को करीबन 300 साल पुराना बताया जा रहा है जो की अपने आप में एक चौंका देने वाली बात है.
मिले तालाब के बारे में हुआ बड़ा खुलासा
आपको बता दें की इस तालाब के मिलने के बाद यहाँ चल रहे खुदाई कार्य के दौड़ान ये बात भी सामने आई की इसमें डेरे प्रमुख बाबा आला सिंह की पुत्री तपस्या किया करती और इसी बात की जानकारी के लिए डेरे खुदाई भी करवाई जा रही हैं. खुदाई के कार्य के लिए जब जेसीबी मचिन से खुदाई का कार्य शुरू किया गया तो उस दौड़ान शुरुवात में जमीन से इटें मिलनी शुरू होगयी थी और इसलिए लोगों की उत्सुकता और बढ़ गयी
अब अंत में जाकर यहाँ जब सूखा तालाब मिला तो इस बात की भी पुष्टि होगयी की वास्तव में यहाँ बाबा की पुत्री प्रकाश कौर तपस्या किया करती है. इसके बाद से अब इस डेरे का नाम भी प्रकाश कौर के नाम पर ही रख दिया गया है. बता दें की खुदाई के दौड़ान जब इस तालाब की नीव तलाशी गयी तो पता चला की ये तालाब 23 फीट गहरी थी. फिलहाल इस तालाब को एक बार फिर से बनाने का कार्य जोर शोर से चल रहा है और उम्मीद की जा रही है की इस साल के अंत तक ये तालाब बनकर बिल्कुल तैयार होजायेगा.