तो क्या राजनीति से संन्यास लेंगे शिशिर अधिकारी, कांथी से भाजपा ने सौमेंदु को टिकट देकर क्या दिया मैसेज?

कोलकाता, (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजनीति में अधिकारी परिवार का दबदबा दशकों से हैं। आजादी की लड़ाई से लेकर 1952 का पहला चुनाव हो या अब 2024 में होने जा रहा चुनाव। मेदिनीपुर अधिकारी परिवार का गढ़ रहा है, इसलिए राज्य की राजनीति में बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ विधायक शुभेंदु अधिकारी सबसे अधिक सुर्खियों में रहते हैं। उनके पिता शिशिर अधिकारी फिलहाल कांथी से तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं लेकिन इस बार तृणमूल उन्हें टिकट नहीं देगी, क्योंकि शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में जाने के बाद तृणमूल ने शिशिर की संसद सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।

अब भाजपा ने इसी कांथी लोकसभा सीट से सौमेंदु अधिकारी को उम्मीदवार बनाया है। दावा किया जा रहा है कि अधिकारी परिवार से राय मशविरा के बाद ही टिकट देने का फैसला लिया गया था, इसलिए इस बात के दावे किए जा रहे हैं कि शिशिर अधिकारी अब राजनीति से संन्यास ले सकते हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने शनिवार को 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा की, जिसमें पश्चिम बंगाल की 42 सीटों के लिए 20 उम्मीदवार शामिल हैं। सौमेंदु अधिकारी कांथी नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष हैं। शुभेंदु अधिकारी के एक और छोटे भाई दिब्येंदु अधिकारी तमलुक लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा तृणमूल सांसद हैं।

अटकलें हैं कि दिब्येंदु अधिकारी इस बार तमलुक से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, हालांकि पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा शनिवार को नहीं की। सूची में एक चौंकाने वाला नाम पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घटाल से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अभिनेता से नेता बने हिरण्मय चटर्जी का था। चटर्जी उसी जिले के खड़गपुर-सदर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं। घटाल अब दो सिने स्टारों की भिड़ंत का गवाह बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। अभिनेता से नेता बने दीपक अधिकारी उर्फ देव इस निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा तृणमूल सांसद हैं और उनके दोबारा मैदान में उतरने की संभावना है।

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