निर्भया के दोषियों की फांसी से कुछ ही दिन पहले दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने तलाक तो मांग लिया, लेकिन इस मामले की सुनवाई के पहले ही दिन अदालत नहीं पहुंची। गुरुवार को बिहार के औरंगाबाद की अदालत में अक्षय की पत्नी पुनीता देवी द्वारा लगाई गई तलाक की अर्जी पर सुनवाई होनी थी, जिसके लिए वह कोर्ट नहीं आई। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख निर्धारित की है।
दोषियों की फांसी से तीन दिन पहले अक्षय की पत्नी ने तलाक की अर्जी दायर की थी। उसका कहना है कि वह किसी दुष्कर्म के दोषी की विधवा बनकर नहीं रहना चाहती। चौथा डेथ वारंट खारिज करवाने के इरादे से दोषी अक्षय की पत्नी की ओर से दायर की गई तलाक की याचिका इस मामले में अदालत को एक बार फिर अपना फैसला कानूनी रूप बदलने के लिए बाध्य कर सकती है।
इस पर सुनवाई के लिए अक्षय का औरंगाबाद कोर्ट पहुंचना भी कानूनी रूप से जरूरी है। ऐसे में निर्भया के दोषियों की फांसी को टालने के लिए अक्षय के तलाक का मुद्दा कानूनी विकल्पों में सबसे मजबूत कड़ी साबित हो सकता है।
इस बारे में अक्षय के वकील एपी सिंह ने बताया कि दोषियों को उसी स्थिति में फांसी पर लटकाया जा सकता है, जब उनके खिलाफ कोई याचिका लंबित ना हो। उन्होंने कहा कि जब अक्षय को फांसी देने के लिए अदालत ने डेथ वारंट जारी किया है तो उसकी पत्नी अपने अधिकारों के तहत किसी भी हालत में विधवा नहीं होना चाहती। इसलिए उसने अक्षय से तलाक लेने के लिए बिहार के औरंगाबाद की जिला अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की है।
उन्होंने कहा कि चूंकि अक्षय की पत्नी के अपने मानवीय अधिकार हैं और वह अपने पति के मरने के बाद खुद पर विधवा होने की मुहर नहीं लगवाना चाहती। इसलिए उसने अक्षय से तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।