नहीं चलेंगी लंबी बालियां, चूडिय़ां और खुले बाल…

निर्देश: बीएसएफ में ड्यूटी के दौरान मेकअप से परहेज करें महिला जवान

नई दिल्ली  । सीमा सुरक्षा बल में महिला जवानों के लिए जारी हुआ एक आदेश चर्चा का केंद्र बना हुआ है। यह आदेश फ्रंटियर मुख्यालय, सीमा सुरक्षा बल, पलौडा कैंप, जम्मू के उप महानिरीक्षक/ पीएसओ कार्यालय द्वारा जारी किया गया है। उप महानिरीक्षक/ पीएसओ कार्यालय द्वारा छह मई को जारी परिपत्र में कहा गया है कि बल की कुछ कार्मिक, ड्यूटी के दौरान ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रही हैं। देखने में आया है कि महिला कर्मी, ड्यूटी के दौरान मेकअप करती हैं। कानों में लंबी-लंबी बालियां पहन रही हैं। अपने बालों को ठीक तरह से बांध नहीं रहीं। बहुत ज्यादा मेकअप कर रही हैं। ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वाली महिला कार्मिकों पर बल के नियम/ अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।


गौरतलब है कि देश के प्रति जज्बा दिल में समेटे विभिन्न राज्यों से संबंधित बीएसएफ की महिला कांस्टेबल गर्मी में आधुनिक हथियारों व दूरबीनों से लैस होकर पूरी तरह से चौकस होकर सीमा पर गश्त कर रही हैं। महिला कांस्टेबल बीएसएफ की बीओपी के गेटों व सीमा पर लगे टावरों से मोर्चे पर पूरी तरह से डटी हुई हैं। भारत-पाक बॉर्डर की सुरक्षा में अब पुरुष जवानों के साथ महिला जवान भी कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी के प्रति मुस्तैद हैं। यहां विपरीत परिस्थितियों में घर, परिवार और पति से दूर रहकर देश सुरक्षा कर रही हैं। रेगिस्तान के धोरों में जहां इन दिनों धूलभरी आंधी, 50 डिग्री तक गर्मी और रेतीले बवंडर चल रहे हैं, उन सब के बीच महिला जवान भी पुरुष जवानों के बराबर बॉर्डर पर तैनात हैं। बाड़मेर से जुड़ी भारत-पाक पश्चिमी सरहद की प्रत्येक बीओपी पर अब महिला सैनिकों को तैनात किया गया है। अब बॉर्डर पर पुरुष जवानों के साथ महिला जवान भी ड्यूटी दे रही हैं। महिला सैनिक पुरुषों की तरह 12 घंटे समय तक वॉच टॉवर निगरानी व सरहद पर पेट्रोलिंग करती हैं।


अनुशासन वाली फोर्स में ये सब ठीक नहीं
सीमा सुरक्षा बल में पुरुष और महिला, सभी के लिए ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है। ऐसे में किसी भी तरह का अतिरिक्त श्रृंगार उचित नहीं है। इसे ड्रेस कोड के अनुसार नहीं माना जाएगा। महिला कार्मिक बल के ड्रेस कोड का पालन करें। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ सीमा सुरक्षा बल के नियम व अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों में मात्र 3.65 फीसदी महिला भागीदारी है। सर्वाधिक 6.35 फीसदी महिलाएं सीआईएसएफ में हैं। आईटीबीपी में यह संख्या 2.83 फीसदी है। सीआईएसएफ और बीएसएफ में यह फीसदी अपेक्षाकृत बहुत कम है। महिला सशक्तिकरण के नारों के बीच रिपोर्ट यह भी खुलासा करती है कि महिलाओं के लिए केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों में कोई विशेष आरक्षण नहीं है। उपेक्षा की यह तस्वीर तब उभरती है, जब साल 2011 में महिला सशक्तिकरण पर संसद की स्थाई समिति ने सरकार से सिफारिश की थी कि तीन वर्ष के भीतर केंद्रीय सुरक्षा बलों में महिलाओं की संख्या कम से कम पांच फीसदी की जाए।

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