
अगले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले ही बंगाल की ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है. जहां काफी समय से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे खास माने जाते रहे और तृणमूल कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता के रूप में माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने नाराजगी की खबरें आ रही थी. इसी के बीच हुगली रिवर ब्रिज कमीशन चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे टीएमसी से उनकी बगावत की खबरों को और मजबूती मिली गई है. पद से इस्तीफे के बाद टीएमसी ने सांसद कल्याण बनर्जी को नया चेयरमैन नियुक्त कर दिया है.
बता दें कि शुभेंदु ने ऐसे समय पर इस्तीफा दिया है जब उनके पाला बदलने को लेकर बंगाल की राजनैतिक गलियारों में अटकलें लगए जा रहे थे. तो अब उनके इस कदम ने उन अफवाहों को और टूल दे डाली है. ममता बनर्जी के सबसे करीबी माने जाने वाले दिग्गज टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी करीब 20 सीटें पर अच्छा प्रभाव रखते हैं. राजनीतिक गलियारों में कई दिनों से चर्चा छै थी कि पूर्वी मिदनापुर जिले से आने वाले शुभेंदु अधिकारी टीएमसी से नाराज चल रहे हैं और ऐसे में वह पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं. फिलहाल, शुभेंदु ने इस मामले में अपना कोई बयान नहीं दिया है.
जहां एक तरफ कुछ वक्त से शुभेंदु अपनी किसी भी रैली या कार्यक्रम में पार्टी के बैनर और ममता की तस्वीरों के बिना रैली कर रहे थे. वहीं दूसरी तरफ शुभेंदु अधिकारी ने हालांकि यह भी कहा था कि वह पार्टी के सदस्य बने हुए हैं और कैबिनेट में मंत्री भी हैं, उन्हें ना तो निकाला गया है और ना ही उन्होंने इस्तीफा दिया है. हालांकि, वो काफी समय से पार्टी के कई कार्यक्रम और कैबिनेट की बैठकों से भी गायब रहे हैं.
उनकी इन गतिविधियों के वजह से कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि ना जाने किस वजह से जो शुभेंदु कभी नंदीग्राम में ममता बनर्जी के लिए सिपाही की भूमिका निभा रहे थे. वो शुभेंदु अधिकारी आखिर अब बागी क्यों हो गए हैं? ऐसा क्या हो गया है कि वो लगातार बीते कुछ समय से पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर आवाज बुलंद कर रहे हैं? क्यों टीएमसी उन्हें मनाने में जुटी है? ऐसे कई सवाल हैं जो न सिर्फ बंगाल, बल्कि देश की राजनीतिक गलियारों में भी गूंज रहे हैं. दरअसल, शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका दबदबा काफी घनिष्ठ है.
राजनीति की जानकार की मानें तो शुभेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी की बीच अटपट की वजह है उनके भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं. इसके अलावा, जिस तरह से प्रशांत किशोर ने बंगाल में संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं. साथ ही शुभेंदु अधिकारी चाहते हैं कि पार्टी कई जिलों की 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे.
पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने बुरे प्रदर्शन ने टीएमसी को एक तरह से झटका दिया और अब विधानसभा चुनाव के लिए उनका खतरा और बड़ गया है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया। बताया जाता है कि ममता बनर्जी ने भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी के कहने पर ही प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया
अब ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा कि शुभेंदु कि ये बगावत टीएमसी के राजनैतिक करियर को कहां ले जाती है. और 2021 का विधान सभा चुनाव किसके पलड़े में जाता है. और कौन आने वाले समय में बंगाल का कार्य भार सम्हालता है.