पायलट गहलोत का सुलह फॉर्मूला तैयार, जानिए क्या बना दोनों में प्लान

जयपुर (ईएमएस)। मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट की परदे के पीछे की लड़ाई अब शायद कुछ ही दिनों की मेहमान रह गई है कांग्रेस आलाकमान राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव को पार्टी के पक्ष में करने के लिए आतुर है छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता टीएसदेव सिंह की चल रही आपसी राजनैतिक लड़ाई को खत्म कर देव को डिप्टी सीएम बनाकर छत्तीसगढ़ में अभी तक पेडिंग चल आ रहा राजनैतिक निर्णय को क्लाज कर दिया है।

मध्यप्रदेश में तो पहले से ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्गिविजय सिंह की जोड़ी विभिन्न सर्वे एजेंसियों की रिपोर्ट से शिवराज सरकार पर भारी पड़ रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की भी कुर्सी की लड़ाई पुरानी हो गई है और इस पुरानी लड़ाई को धार देने के लिए सचिन पायलट ने अनेको बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपनी कांग्रेस सरकार पर अनेको बार आरोप लगाये यहां तक की उन्होने अजमेर से जयपुर तक पैदल मार्च और जयपुर में शरीद स्मारक पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यशैली के खिलाफ धरना तक दिया। छत्तीसगढ़ का राजनैतिक झगड़ा निपटने के बाद अब सचिन पायलट की लड़ाई का भी अंत दिखने लगा है जिस प्रकार पिछले दिनों हरीश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा व अन्य नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर राजस्थान में गहलोत सरकार कैसे रिपीट हो के बारे में चर्चा की गई हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत पिछले दो महीने में पायलट के द्वारा उठाये गए मुद्दो पर सकारात्मक हुए है और अपनी ही सरकार की तमाम योजनाओं के आम आवाम् से लेकर खासोआम तक के लिए मुंह खोल दिए है इसलिए शायद पार्टी पदाधिकारियों, वरिष्ठ पदाधिकारियों सभी विधायकों की बैठक अगले एक दो दिन में चूरू के सालासर में की जाने वाली है ताकि आम आवाम तक गहलोत सरकार की येाजनाओं की जानकारी चुने हुए विधायक पार्टी से मनोनीत पदाधिकारी वरिष्ठ कार्यकर्ता जनता तक पहुंचाकर भाजपा जनता पार्टी के नेताओं द्वारा गहलोत सरकार की निगेटिव प्रचार प्रसार का कोई असर ना हो।

प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से की गई मुलाकात और पूर्व कांग्र्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मांगे गए समय के परिपेंक्ष्य को देखते हुए अब माना जा रहा है पायलट और गहलोत की सुलह में अब कुछ ही दिन बाकी है राजनैतिक हलको में चर्चा है कि सचिन पायलट को फिर प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभलाई जा सकती है या फिर उन्हे चुनाव कैमपेन कमेटी का अधिकार सौपा जा सकता है। क्योंकि छत्तीसगढ़ के तर्क से कहा जा रहा है कि टीएस सिंह देव तो पहले भूपेश बघेल मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री नहीं थे और सचिन पायलट ने गहलोत मंत्रिमंडल से उपमुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था।

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