नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को विज्ञान भवन में राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान ‘बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल’ लॉन्च किया। यह प्रोटोकॉल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर और एएनएम को कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के विस्तृत उपाय में मदद करेगा।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पहली बार केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इनपुट के साथ 18 मंत्रालयों के समन्वय से महिला बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का मसौदा तैयार किया है, जो कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए विस्तृत उपाय प्रदान करता है। इसके तहत सामुदायिक हस्तक्षेप और चिकित्सीय हस्तक्षेप को अलग-अलग कर दिया गया है जिससे राष्ट्रीय पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) का बोझ कम हो सकेगा। उन्होंने कहा कि 1970 के दशक से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के कुपोषण को कम करने की दिशा में मंथन चलता रहा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दिशा में पुख्ता कदम उठाए और नेशनल फ्लैगशिप मिशन बनाया। आज मंत्रालय ने 18 मंत्रालयों के समन्वय से देश की 13 लाख से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए प्रॉटोकॉल जारी किया है।
उन्होंने कहा कि तीन महीने के अंदर पोषण ट्रैकर तैयार कर इसे देशभर में लागू किया गया। इस ट्रैकर के माध्यम से देश में 10.11 करोड़ लाभार्थियों में से 9.50 करोड़ लाभार्थियों का आधार वेरिफिकेशन भी किया जा चुका है। देश के आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन करने के साथ सरकार ने इनमें निर्माण कार्यों के फंड को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख रुपये, शौचालयों के लिए 12 हजार से बढ़ा कर 36 हजार रुपये कर दिया गया है। पानी के लिए 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 17 हजार रुपये कर दिया गया है। आंकाक्षी जिलों में 40 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों में एलईडी टीवी स्क्रीन लगाने पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1.16 हजार मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 42000 को अपग्रेड किया जा चुका है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग के लिए 900 करोड़ रुपए सुनिश्चित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निगरानी के लिए जल्दी ही 5जी फोन दिए जाएंगे और ऐसी व्यवस्था की गई है कि हर चार साल में इन उपकरणों को बदला जा सके। पोषण ट्रैकर के माध्यम से देश में 1.2 लाख लाभार्थियों को माइग्रेशन के बाद भी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।
महिला एवं बाल विकास सचिव इंदेवर पांडे ने बच्चों में कुपोषण को कम करने के लिए किशोरियों में कुपोषण को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएसएच) के दिशा-निर्देश में बदलाव होने के बाद पोषण ट्रैकर के तहत 7 करोड़ बच्चों के स्वास्थ्य को ट्रैक किया गया। उन्होंने बताया कि सितंबर महीने में देशभर में 17 करोड़ 70 लाख गतिविधियों का आयोजन किया गया।
इस मौके पर नए प्रोटोकॉल पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार, अंतरराष्ट्रीय बाल रोग चिकित्सक संगठन के अध्यक्ष डॉ. नवीन ठक्कर ने विस्तार से चर्चा की और इसे विदेशों में लागू करने की वकालत की।
इस मौके पर आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमएच एंड एफडब्ल्यू) के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।