
लंदन
ब्रिटेन के सैन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बेहद घातक इबोला वायरस को महाविनाश का हथियार बना रहे हैं जो उनके जैविक हथियार प्रॉजेक्ट का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि रूस की खुफिया एजेंसी FSB की यूनिट 68240 इस पूरे कार्यक्रम को चला रही है जिसका कोड नाम टोलेडो (Toledo) है। इसी यूनिट पर पुतिन के विरोधियों को जहर देने का आरोप लगा है।
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि रूसी खुफिया एजेंसी की यूनिट 68240 इबोला और इससे ज्यादा खतरनाक मारबर्ग वायरस पर शोध कर रही है। इन वायरस से भीषण प्रकोप फैलता है और संक्रमित होने पर इंसान के अंग काम करना बंद कर देते हैं। शरीर के अंदर ही बड़े पैमाने पर खून निकलने लगता है। ब्रिटेन के एक पूर्व सैन्य खुफिया अधिकारी को डर है कि रूस इन वायरस के शोध से आगे बढ़ चुका है और टोलेडो प्रॉजेक्ट के तहत से हथियार बनाने के काम में लग गया है।
बता दें कि टोलेडो स्पेन का एक शहर है जो प्लेग फैलने पर श्मशान घाट में बदल गया था। यही नहीं वर्ष 1918 में फ्लू की विनाशलीला का सामना करने वाले अमेरिका के ओहियो के एक शहर का नाम भी टोलेडो है। गैर सरकारी संस्था ओपेन फैक्टो के जांचकर्ताओं के मुताबिक रूसी रक्षा मंत्रालय में एक गुप्त यूनिट है जिसका नाम सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट है जो ‘दुर्लभ और घातक’ वायरस पर शोध करती है।
‘रूस इबोला और मारबर्ग वायरस को बना रहा वेपन’
मास्को में स्थित 48वीं सेंट्रल रिसर्च यूनिट का संबंध 33वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट से है जिसने जानलेवा नर्व एजेंट नोविचोक बनाया है। इस घातक जहर के जरिए पुतिन के विरोधियों पर हमला करने का आरोप लगा है। ओपेन फैक्टो की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने रूस के दोनों ही संस्थानों पर जैविक हथियारों पर शोध करने के लिए प्रतिबंध लगा रखा है। 48वीं रिसर्च यूनिट कथित रूप से अपना डेटा FSB की यूनिट 68240 को भेजती है जो टोलेडो कार्यक्रम चला रही है।
मिरर ने एक सोर्स के हवाले से कहा, ‘रूस और ब्रिटेन दोनों ही देशों की लैब जैविक और रासायनिक युद्धकला का अध्ययन कर रही हैं जिससे नोविचोक जैसे जहर से अपनी सुरक्षा कैसे की जा सके, यह जाना जा सके।’ उन्होंने कहा कि रूस ने यह पहले ही दिखा दिया है कि वह ब्रिटेन की सड़कों पर नोविचोक जहर का खुलेआम इस्तेमाल कर रही है। सोर्स ने कहा, ‘इसका मतलब है कि रूस इबोला और मारबर्ग वायरस की घातक क्षमता को हथियार के रूप में बनाने के लिए शोध कर रहा है।’ मारबर्ग ऐसा वायरस है जिससे संक्रमित होने पर 88 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है।