
दिल्ली सीमा पर पंजाब के किसान धरना दे रहे हैं. मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. किसानों के इस बंद का विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने अपने समर्थन की घोषणा की है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एम के स्टालिन तथा गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाये गये ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया।
पांचवें दौर की बातचीत बनेतीजा रही
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने कहा, ‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।’ उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।’
कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, राकांपा और आप ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया. इन विपक्षी पार्टियों से पहले तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी बंद का समर्थन किया था. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है.
समर्थन में आए ये दल
-कांग्रेस
-लेफ्ट पार्टियां (CPM, CPI व अन्य)
-द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK)
-आम आदमी पार्टी (AAP)
-तृणमूल कांग्रेस (TMC)
-समाजवादी पार्टी (SP)
-तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)
-राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
-शिरोमणि अकाली दल (SAD)
-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
-गुपकार गठबंधन
-ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)
किसान आंदोलन के साथ खड़े हैं ये संगठन
किसानों ने भारत बंद के तहत ‘दिल्ली आने वाली सभी सड़कें ब्लॉक’ करने की चेतावनी दी है। टोल प्लाजाओं पर भी कब्जे की योजना है। केंद्र सरकार और कॉर्पोरेट्स के खिलाफ आंदोलन को और तेज किया जाएगा। राजनीतिक हलकों से इतर कई व्यापारिक यूनियनों और संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
-ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी (AIKSCC)
-ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)
-इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)
-हिंद मजदूर सभा (HMS)
-ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)
-सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)
-ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC)
-ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज असोसिएशन (AIBEA)
-ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स असोसिएशन (AIBOA)
-इंडियन नैशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC)
जरूरी सेवाओं को छोड़कर शायद हर जगह भारत बंद का असर दिखने की संभावना है. किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर कब्जा कर लिया है. 8 दिसंबर को भारत बंद वाले दिन, देशभर में चक्का जाम की तैयारी है. रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश होगी. कृषि आधारित इलाकों में बंद का व्यापक असर देखने को मिल सकता है. बाजार से लेकर सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ने की पूरी संभावना है. सड़कें जाम होने से सप्लाई चेन्स और ट्रांसपोर्ट सर्विसिज की कमर टूट सकती है. अगर राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में उतरते हैं तो फिर उसके असर का दायरा और बढ़ सकता है.