मटन के नाम पर परोसा जा रहा कुत्ते का मीट?

बेंगलुरु । कर्नाटक के सबसे व्यस्त ट्रेन स्टेशन के ओकालीपुरम प्रवेश द्वार पर अचानक हंगामा शुरु हो गया। ट्रेन में आए एक पार्सल को लेकर विवाद शुरू हुआ। पुलिस और आरपीएफ की टीमें ने मौके पर पहुंचकर तलाशी ली गई। तलाशी में पुलिस को बर्फ में जमा हुआ मांस मिला। आरोप है कि यह कुत्ते का मांस होटलों में सप्लाई होने जा रहा था। अधिकारी वर्तमान में शिपमेंट के स्रोत और क्या भेजने वाले के पास आवश्यक परमिट थे, इसकी जांच कर रहे हैं।

खाद्य निरीक्षक भी स्थल पर पहुंचे और मांस को जब्त किया गया। पुलिस को प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह मांस बाजार में 600 रुपये किलो में बेचा जा रहा था, जबकि मटन की कीमत 800 रुपये प्रति किलो है। हिंदू समर्थक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मौके पर हंगामा शुरू कर दिया। कुत्ते का मांस बेचने के लिए राजस्थान से आया था।


पुलिस ने बताया कि उन्हें लंबे समय से बेंगलुरु में मटन के नाम पर कुत्ते का मांस बेचने की सूचना मिल रही थी। खास बात है कि बाजार से सस्ता बिकने के कारण, बड़े-बड़े होटलों में भी मटन के नाम पर कुत्ते का मांस परोसा जा रहा था। आरोप है कि मांस मैजेस्टिक के आसपास के होटलों में दूसरे मांस के साथ मिलाकर दिया जा रहा था। लोगों का आरोप है कि बेंगलुरु में बड़े लोगों के संरक्षण में मांस का कारोबार चल रहा है। जब राजस्थान से आए मांस के बक्सों को हटाया गया, तब उसमें खाल उतारे हुए कुत्तों के शव थे। एक गौरक्षक के अनुसार, शहर में कुत्ते का मांस आयात किया जा रहा था। हालांकि, मांस का ऑर्डर देने वाले मांस व्यापारी अब्दुल रज्जाक ने आरोप को खारिज किया। उन्होंने कहा कि खेप का आदेश कानूनी रूप से दिया गया था और यह कुत्ते का मांस नहीं बल्कि भेड़ का मांस है। उन्होंने कहा कि हम व्यवसाय को कानूनी रूप से चला रहे हैं। जयपुर में हमारे बूचड़खाने हैं और ट्रेन से बेंगलुरु ले जाने से पहले मांस को-5 डिग्री सेल्सियस पर प्रिजर्व करके लाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कुत्ते का मांस नहीं है।

भारत में, कुत्ते के मांस का सेवन और व्यापार कानूनी बैन है। हालांकि विशिष्ट नियम राज्य के अनुसार भिन्न होते हैं। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, पशुओं की हत्या और उपभोग को इस तरह से प्रतिबंधित करता है।

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