
नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं को पढ़ने या बच्चे पैदा करने में से कोई एक विकल्प चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस अहम टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने एमएड की एक छात्रा को मातृत्व अवकाश का लाभ देने और आवश्यक उपस्थिति पूरी होने पर परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश भी दिया। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने हाल ही में एमएड छात्रा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान ने एक समतावादी समाज की परिकल्पना की है, जिसमें नागरिक अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। समाज के साथ-साथ राज्य भी उन्हें इसकी अनुमति देता है। कोर्ट ने आगे कहा कि सांविधानिक व्यवस्था के मुताबिक किसी को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच किसी एक का चयन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।