राज विस चुनाव : किसी को पाला बदलते ही फटाफट मिल गया टिकट, तो कुछ पार्टी बदलने के बाद भी रह गए खाली हाथ

जयपुर, (हि.स.)। राजनीति में भविष्य बनाने के लिए नेताओं की निष्ठा अब पार्टियों में कम रही है। यही कारण है कि वह चुनाव लड़ने के लिए किसी भी दल में चले जाते हैं। इस बार विधानसभा में कई ऐसे नेता मैदान में हैं जो कांग्रेस व भाजपा में रहे हैं लेकिन इस समय एक-दूसरे दलों में जाकर चुनाव लड़ रहे हैं। कई नेताओं ने बसपा से चुनाव जीता जो अब कांग्रेस व भाजपा में चले गए। कुछ ऐसे भी है जो पाला बदलने के बाद भी खाली हाथ ही रहे है।

अलवर ही नहीं प्रदेश की कई सीटों पर ऐसा गणित देखा जा रहा है। राजस्थान में कई सीटों पर तो ऐसे खिलाड़ी उतारे गए जो कुछ घंटों पहले दूसरे दलों के थे लेकिन टिकट के लिए उन्हें अपने घर में पार्टियां ले आईं। अलवर शहर से प्रत्याशी अजय अग्रवाल पहले भाजपा के टिकट से नगर परिषद के सभापति बने और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। अब वे कांग्रेस के टिकट से शहर प्रत्याशी हैं। कठूमर से भाजपा के प्रत्याशी रमेश खींची पहले कांग्रेस के टिकट पर एक बार प्रधान और दो बार विधायक रह चुके हैं, इस बार भाजपा के टिकट से मैदान में हैं। तिजारा से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान खान चार दिन पहले तक बसपा के प्रत्याशी थे और अगले ही दिन कांग्रेस के हो गए। कांग्रेस से तिजारा से चुनाव लड़ रहे हैं। राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी बन्नाराम मीणा पिछले चुनाव में बसपा से मैदान में उतरे थे।

धौलपुर के बाड़ी से वर्तमान विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा दो दिन पहले भाजपा में शामिल हुए और भाजपा से टिकट मिल गया। बाड़मेर से भाजपा सांसद रहे कर्नल सोनाराम को कांग्रेस में शामिल होने के छह घंटे बाद ही कांग्रेस ने गुढ़ा मालानी से टिकट दे दिया। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले प्रशांत परमार को कांग्रेस ज्वाइन करने के 6 घंटे बाद ही बाड़ी से टिकट मिल गया। भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुई मनीषा को कांग्रेस ज्वाइन करने के 6 घंटे बाद खेतड़ी से टिकट मिल गया। बसपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले विधायक वाजिब अली, जोगेंद्र सिंह अवाना और लाखन सिंह को कांग्रेस ने टिकट दे दिया। अजमेर के किशनगढ़ से भाजपा से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए विकास चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दिया है। धौलपुर शहर की वर्तमान भाजपा विधायक शोभा रानी कुशवाहा को कांग्रेस ने इस बार टिकट दिया है। पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र गोयल को कांग्रेस ने पाली के जैतारण से मैदान में उतारा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले शिवचरण कुशवाहा को भाजपा ने धौलपुर से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली ज्योति मिर्धा को भाजपा ने नागौर से प्रत्याशी बनाया है।

किशनपोल से भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद माना जा रहा था कि ज्योति खंडेलवाल को किशनपोल से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। अंतिम सूची जारी हुई तो सूची में चंद्र मनोहर बटवाड़ा का नाम था। सोमवार को पूरा समय घर पर ही बीता। समर्थकों का कहना है कि टिकट का आश्वासन दिया गया था। इससे पूर्व सूची जारी होने के बाद ज्योति खंडेलवाल ने सोशल मीडिया पर भी अपना दर्द जाहिर किया था। गौरतलब है कि ज्योति खंडेलवाल ने कांग्रेस में किशनपोल, हवामहल और विद्याधर नगर से टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन किशनपोल से अमीन कागजी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पंडित सुरेश मिश्रा को भी टिकट नहीं दिया गया है। मिश्रा को हवामहल और सिविल लाइंस से प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन हवामहल सीट से बालमुकुंदाचार्य और सिविल लाइंस में गोपाल शर्मा को प्रत्याशी बना गया है। अंतिम सूची में नाम नहीं होने से समर्थकों में निराशा दिखी। अपने आवास पर आए समर्थकों के साथ बैठक की। हालांकि पंडित सुरेश मिश्रा का कहना है कि सिविल लाइंस से टिकट की उम्मीद थी लेकिन पार्टी का फैसला मान्य है। नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है। मैं तो पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समाज के लिए काम करता हूं। पार्टी जहां चाहे वहां मेरा उपयोग कर सकती है। सांगानेर, सिविल लाइंस और हवामहल में पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार कर रहा हूं। सुरेश मिश्रा कांग्रेस के टिकट पर साल 2008 में सांगानेर से चुनाव लड़ चुके हैं। वे वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री थे। उन्हें सचिन पायलट का करीबी माना जाता है।

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