राम मंदिर के न्यौते को ना कहकर भी बुरी फंसी कांग्रेस

नई दिल्ली (ईएमएस)। कांग्रेस को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से 21 दिसंबर को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में शामिल होने का न्यौता मिला था। कांग्रेस निमंत्रण पर करीब 20 दिनों तक चुप्पी साधे रही और इसके चलते कयास लगते रहे कि आखिर पार्टी क्या करेगी। लेकिन अंत में 10 जनवरी को कांग्रेस ने बयान जारी कर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को भाजपा और आरएसएस का कार्यक्रम बताकर न्यौता खारिज कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस ने धर्म को निजी मामला बताकर कहा था कि भाजपा राम मंदिर को लंबे समय से राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाकर काम करती रही है। इसके अलावा कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि चुनावी लाभ के लिए अधूरे राम मंदिर में कार्यक्रम किया जा रहा है।


एक ओर कांग्रेस ने राम मंदिर के कार्यक्रम में जाने से इंकार किया है। वहीं दूसरी ओर कार्यक्रम को भाजपा और आरएसएस का इवेंट बता दिया। यही नहीं कांग्रेस की ओर से धर्म को निजी मसला बताया गया है। इसके आगे कांग्रेस ने कुछ नहीं कहा है और इस लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल राम मंदिर के लिए कांग्रेस को मिला न्यौता भी उसके लिए एक राजनीतिक मुश्किल ही थी। उसके नेता कार्यक्रम में जाते, तब मुस्लिमों के वोट छिटकने का डर होता और न जाने पर अब हिंदू वोट खिसकने की बात कही जा रही है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस का बयान थोड़ा अधूरा सा है।


राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि कांग्रेस को अपने बयान में यह भी जोड़ना चाहिए था कि वह 22 जनवरी को भले ही नहीं जाएंगे, लेकिन फिर कभी दौरा जरूर होगा। उस यह भी बताना चाहिए था कि वे किस दिन रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे। इससे कांग्रेस एक ओर न्यौते को गरिमा के साथ इंकार कर पाती। वहीं बीच की राह निकालते हुए रामलला के दर्शन की भी बात करती। राम मंदिर जाने का जिक्र न करना कांग्रेस के बयान में एक चूक माना जा रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस को भले ही ज्यादा राज्यों में नुकसान न हो, लेकिन यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में जरूर ध्रुवीकरण से भाजपा को मदद मिल सकती है।


इस बीच इंडिया अलायंस का ही हिस्सा आम आदमी पार्टी के स्टैंड को स्मार्ट मूव के तौर पर देखा जा रहा है। अब तक किसी भी आप नेता ने राम मंदिर को लेकर कोई विवादित बयान नहीं दिया है। इसके अलावा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता न मिलने की भी बात आप ने कही है। पार्टी ने कहा कि हमें कुछ दिन एक पत्र मिला था, जिसमें अरविंद केजरीवाल को कहा गया था कि वे 22 जनवरी की तारीख में कोई कार्यक्रम न रखें। लेकिन अब तक कार्यक्रम का औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है। आप के इस रुख को इसलिए स्मार्ट माना जा रहा है क्योंकि आरजेडी, कांग्रेस और सपा के किसी न किसी नेता राम मंदिर अथवा रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणियां की हैं। लेकिन आप पूरे प्रकरण में सावधान रही है।

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