लखीमपुर खीरी : 10 साल के जन आंदोलन के संघर्ष में हुए कई बदलाव: डॉ मंजीत सिंह पटेल 

लखीमपुर खीरी। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर जिला लखीमपुर खीरी में कई छोटे-बड़े समाजसेवियों द्वारा आए दिन प्रदर्शन देखने को मिलते रहते हैं। इसी बीच लखीमपुर खीरी के छोटे से गांव बगहा के निवासी डॉ मंजीत सिंह पटेल का नाम भी कई बार सुर्खियों में आया है। बीते 10 वर्षों से मंजीत का ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जिले से लगाकर कई प्रदेशों में लगातार देखने को मिला है। मंजीत ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर न सिर्फ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर बल्कि दिल्ली के जंतर मंतर, रामलीला मैदान समेत कई राज्यों में बड़े बड़े प्रदर्शन किए।

कौन है लखीमपुर खीरी के मंजीत?

गोला तहसील के एक छोटे से गांव बगहा के रहने वाले डा. मंजीत सिंह पटेल आज पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन में एक बड़ा नाम हैं और राष्ट्रीय स्तर के एक बड़े संगठन ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जो पूरे देश में कर्मचारियों के लिए “नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत” नाम से कैंपेन चला रहा है। उनकी प्राथमिक शिक्षा उनके पैतृक गांव के ही स्कूल जनता शिशु विद्यालय और पड़ोसी कस्बे अजान और गोला तहसील के सरस्वती विद्या मंदिर से हुई। युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर से बीएड करने के बाद उनका चयन वर्ष 2007 में केंद्रीय विद्यालय जोरहाट, असम में शिक्षक के तौर पर हो गया। यहीं से उनका संबंध पहली बार कर्मचारी समस्याओं की तरफ गया।

उस समय केंद्रीय कर्मचारियों के लिए छठे पे कमीशन पर टीवी में डिबेट्स होती थीं। चूंकि जनवरी 2004 से नई पेंशन व्यवस्था अस्तित्व में आ चुकी थी, इसलिए पटेल ने इस व्यवस्था का अध्ययन करना शुरू किया, और जैसे जैसे इसकी समस्याओं से परिचित होते गए वैसे वैसे इस व्यवस्था के खिलाफ लिखना, पढ़ना और बोलना शुरू कर दिया। एनपीएस के खिलाफ आंदोलन के लिए उन्होंने सोशल साइट ऑरकुट, फेसबुक, वाट्स एप और ट्विटर का सहारा लिया।

कैसे मिली पहचान-

वर्ष 2018 में दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों लोगों के साथ हुए आंदोलन में पहली बार पटेल के प्रयासों से दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 26 नवंबर को दिल्ली की विधानसभा से पुरानी पेंशन बहाली का ऐतिहासिक प्रस्ताव हुआ। तब से कई राज्यों में ओल्ड पेंशन बहाल हुई। भारत सरकार ने भी कमेटी का गठन किया।

वर्ष 2022 में उन्हें इस आंदोलन में खासकर पूर्वोत्तर भारत में पहुंचाने के लिए देश की प्रतिष्ठित मैगजीन “आउटलुक बिजनेस” ने देश के 21 अन्य चेंज मेकर्स ऑफ़ द ईयर के रूप में कवर पेज पर स्थान दिया गया। 

एक अन्य संस्था “सोक्रेट्स सोशल रिसर्च यूनिवर्सिटी” द्वारा भी उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।  

पुरानी पेंशन बहाली के लिए अब तक वह दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, उत्तराखंड, तमिलनाडु, पांडिचेरी, चंडीगढ़, महाराष्ट्र आदि राज्यों में 50 से अधिक रैलियां और 300 से ज्यादा जागरूकता कार्यक्रम कर चुके हैं। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन “नेशनल ज्वाइंट काउंसिल फॉर एक्शन” (NJCA) के मेंबर होने के साथ साथ वह इसके द्वारा पुरानी पेंशन बहाली अभियान के फोरम “जैफ्रॉप्स” की स्टीयरिंग कमेटी के भी मेंबर हैं। डा. पटेल इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें वित्त मंत्रालय ने एनपीएस पर 11 जुलाई को पेंशन मसले पर सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया था।

क्या है लखीमपुर के मंजीत का मुद्दा?

मंजीत ने बातचीत के दौरान बताया कि जो भी कर्मचारी 2003 के बाद नौकरियों में आए हैं उनके लिए भी गारंटीड पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए, गारंटीड से मतलब सिर्फ इतना है कि कर्मचारी 10 साल की क्वालीफाइंग नौकरी पूरी करने के बाद जब वह 60, 62 या 65 साल की उम्र पर रिटायर हो तो उसको बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 50% पेंशन की गारंटी हो। जबकि एनपीएस एक बाजार आधारित जोखिमपूर्ण पेंशन व्यवस्था है और सोशल सिक्योरिटी की गारंटी नहीं देती है। पटेल का कहना है कि जब एक सांसद, विधायक को पुरानी गारंटीड पेंशन का लाभ दिया जा सकता है तो बॉर्डर पर रहकर देश की सुरक्षा करने वाले पैरामिलिट्री के जवान और 30 से 35 साल सेवा करने वाले कर्मचारी को गारंटीड पेंशन की सुविधा क्यों नहीं?

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