संघर्षमय राजनैतिक सफर में पूर्व राज्यमंत्री विनय शाक्य ने नहीं देखा पीछे मुड़ के…

-1997 से 2017 तक कुशल राजनैतिक के रूप में रहे विनय शाक्य के 26 साल के सफर का अंत हो गया।

भास्कर ब्यूरो

बिधूना, औरैया। तहसील क्षेत्र के ग्राम घसारा में जन्मे विनय शाक्य विनय शाक्य के राजनैतिक जीवन का सफर वर्ष 1997 से समाजवादी पार्टी से शुरू हुआ।सपा में उन्हें युवजन सभा की जिम्मेदारी सौंपी गई। कुछ दिनों सपा में रहने के बाद उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा में उन्हें जोनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई ।इसी दौरान बसपा सुप्रीमो के वह अति विश्वास पात्र बन गये और बसपा ने उन्हें 2002 में बिधूना विधानसभा से प्रत्याशी बनाया जिसमें उन्होंने सपा प्रत्याशी धनीराम वर्मा को लगभग 3700 वोटो से पराजित किया।वह बसपा सरकार में वाह्य सहायतित परियोजना राज्य मंत्री बनाए गए इसी दौरान 2003 में बसपा सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री मायावती ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। जिसके चलते सपा की सरकार बनी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। इस दौरान विनय शाक्य पर दबाव बनाने के लिए कई फर्जी मुकदमे भी लगाएं गये लेकिन उन्होंने बसपा नहीं छोड़ी ।

वर्ष 2007 में बसपा ने उन्हें पुनः बिधूना विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया और वह मात्र 294 वोट से धनीराम वर्मा से चुनाव हार गए। चुनाव में पराजित होने के बाद बसपा ने उन्हें 2007 में विधान परिषद सदस्य बनाकर उप्र गन्ना शोध संस्थान का अध्यक्ष राज मंत्री दर्जा प्राप्त बनाकर उनका दबदबा कायम रखा। बसपा ने मुलायम सिंह यादव के सामने उन्हें 2009 में मैनपुरी से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया और वह मुलायम सिंह यादव से चुनाव हार गए।

2016 में वह बसपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए ।भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने 2000 मतों से अधिक वोटो से सपा प्रत्याशी दिनेश वर्मा उर्फ गुड्डू को पराजित किया ।

विनय शाक्य अपने पिता स्वर्गीय बाबूराम और माता द्रोपदी देवी की तीन संतानों में सबसे बड़े थे। उन्होंने अपने छोटे भाई देवेश शाक्य को भी राजनीति में स्थापित करने का प्रयास किया और उन्होंने अपने भाई के दबाव में आकर विधानसभा चुनाव के दौरान सपा का दामन थाम लिया।सपा से शुरू हुआ विनय शाक्य के छब्बीस साल के राजनीतिक सफर का अंत सपा में हो गया। विनय शाक्य के परिवार में उनकी पत्नी निशा पुत्रियां रितु और रिया के अलावा एक पुत्र सिद्धार्थ है। रविवार को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी एवं भारी संख्या में उनके शुभचिंतक मौजूद थे।

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