
मंदिर में खंडित मूर्तियों की आज भी होती है पूजा
हमीरपुर (हि.स.)। हमीरपुर जिले के मुस्करा कस्बे में अब ऐतिहासिक मंदिर और धरोहरें एक-एक करके बदहाल होने के कगार पर हैं। यहां एक हजार से ज्यादा पुराना एक शिवमंदिर है जो अब ढहने के कगार पर आ गया है। हर साल इस मंदिर का हिस्सा बरसात में ढहकर मलबा बन रहा है, जिसे देख गांव के लोग निराश हैं।
बुन्देलखंड की वीरभूमि हमीरपुर और महोबा में हजारों साल पहले मंदिरों का विस्तार शुरू हुआ था। लेकिन देखरेख न होने के कारण प्राचीन और अद्भुत मंदिरों का अस्तित्व ही अब खतरे में है।
हमीरपुर जिले के मुस्करा कस्बे के पुरवा मोहाल स्थित मांझखोर में एक ऐसा शिवमंदिर है, जो अपने अतीत को आज भी संजोए है। जिसका निर्माण अशोक सम्राट के काल में हुआ है। बुजुर्गों की मानें तो यह शिवमंदिर ग्यारहवीं शताब्दी ( 1120) में चंदेल शासक जयवर्मन के शासनकाल में बना था। मंदिर में लगे पत्थरों पर अशोक सम्राट काल के प्रतीक चिन्ह आज भी अंकित हैं।
मंदिर के अंदर शिवलिंग के नीचे की जलालु चौकी इतनी विशाल है कि उस में ये मंदिर बना है। राजस्व अभिलेखों में आबादी के अंदर 850/1 में शिवमंदिर के नाम से जमींदारी जमाने में दर्ज है। किसी जमाने में मंदिर भी एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में बना था, मगर लगातार अतिक्रमण के कारण मंदिर की भव्यता पर बट्टा लग रहा है। हाल में ही सेवा से रिटायर्ड हुए क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एसके दुबे ने बताया कि यह मंदिर चंदेलकालीन है, जिसकी दीवाल और छतें केवल पत्थरों के सहारे ही एक दूसरे पर टिकी है। उन्होंने माना कि यह मंदिर काफी जर्जर और क्षतिग्रस्त हो गया है। बताया कि इस तरह के मंदिर और धरोहर बुन्देलखंड क्षेत्र में बहुत कम संख्या में रह गए हैं।
मुगल शासक ने मंदिर में की थी तोड़फोड़
मुस्करा कस्बे के समाजसेवी एवं पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष हरस्वरूप व्यास ने बताया कि यह मंदिर दीवाल और छत के पत्थरों के जरिए एक दूसरे पर टिका है। यहां औरंगजेब के शासन काल में इस शिवमंदिर में भी तोड़फोड़ हुई थी। मंदिर में स्थापित अष्टभुजा वाली की दो प्रतिमाएं मुगल शासन काल में खंडित हुई थी। खंडित प्रतिमाएं आज भी मंदिर में विराजमान हैं। और लोग पूजा अर्चना करते हैं।
मंदिर के मुहाने बना प्राचीन कुआं भी बदहाल
डीके व्यास व जगदीश प्रसाद समेत तमाम बुजुर्गों ने बताया कि मंदिर के पास एक कुआं था। जो रमयासर के नाम से विख्यात था। क्षेत्र में कुछ दशक पूर्व सूखा पड़ने पर इलाके में सारे कुएं और तालाब सूख गए थे, लेकिन यह प्राचीन कुआं नहीं सूखता था। यहीं कुआं लोगों की प्यास बुझाता था पर अब इसमें कूड़ा करकट पड़ता है। बताया कि इस कुएं के नीचे एक दरवाजा भी बना था, जिसमें सीढ़ियां थी लेकिन अब यह बंद हो चुका है।
बारिश में मंदिर का पिछला हिस्सा भी ढहा
मुस्करा के पूर्व सरपंच हर स्वरूप व्यास ने बताया कि यह मंदिर जमीन से चालीस फीट ऊंचा है। इसके अंदर स्थापित शिवलिंग बड़ा ही अनमोल है। बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम कुछ साल पहले सर्वे करने आई थी, लेकिन इसे सुरक्षा के दायरे में लाने से हाथ पीछे कर लिया है। बताया कि बरसात में मंदिर का काफी बड़ा हिस्सा ढह गया है। साथ ही शिवमंदिर का इसका पिछला हिस्सा भी गिरकर मलबे में तब्दील हो गया है।