
बेंगलुरु (ईएमएस)। हिमालय में कभी महासागर भी हुआ करता था, जिसके अवशेष भारत और जापान के वैज्ञानिकों ने मिलकर खोजे हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु और जापान के निगाटा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर हिमालय में एक प्राचीन महासागर के अवशेषों का पता लगाया है। शोधकर्ताओं ने अपना अध्ययन पश्चिमी कुमाऊं हिमालय के विशाल हिस्से पर किया। उन्होंने अमृतपुर से मिलम ग्लेशियर और देहरादून से गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र तक अपना शोध किया। वैज्ञानिकों ने हिमालय में खनिज भंडार में फंसे पानी की बूंदों की भी खोज की है जो संभवतः लगभग 600 मिलियन वर्ष पहले मौजूद एक प्राचीन महासागर से पीछे रह गए थे। इस मामले में वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय का 600 मिलियन वर्ष पुराना समुद्री जल पृथ्वी के इतिहास में महासागरों और यहां तक कि जीवन के विकास को गति प्रदान कर सकता है।
वैज्ञानिकों बता रहे है कि यहां पर 700 से 500 मिलियन वर्ष पहले, बर्फ की मोटी चादरें एक विस्तारित अवधि के लिए पृथ्वी को ढकती थीं, जिसे स्नोबॉल अर्थ हिमनदी जिसे पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख हिमनद घटनाओं में से एक कहा जाता है। इसके बाद पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि हुई, जिसे दूसरी सबसे बड़ी ऑक्सीजनेशन घटना कहा जाता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि इस कारण जटिल जीवन रूपों का विकास हुआ।