
-भारत से की प्राचीन संस्कृति विरासत साझा अब कर रहा पाकिस्तान का सपोर्ट
बाकू । ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव जारी है तो वहीं, अब ये भी तथ्य सामने आ रहा है कि इस मु्श्किल में विश्व के किस देश ने भारत का साथ दिया। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा तुर्किए और अजरबैजान की है। इसमें भी अजरबैजान की चर्चा इसलिए जरूरी है कि उसने भारत के साथ प्राचीन संस्कृति की साझी विरासत होने के बावजूद पाकिस्तान का साथ दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय बलों ने पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई कर आतंक के ठिकानों को निशाना बनाया था। पाकिस्तान ने भी भारत पर हमले की कोशिश की लेकिन भारत की मजबूत हवाई रक्षा प्रणाली ने उसके प्रयासों को नाकाम कर दिया। इस पूरे तनाव में पाकिस्तान अकेला नजर आया। उसे केवल चीन, तुर्कीए और अजरबैजान जैसे देशों का ही साथ मिला। चीन और तुर्कीए ने जहां पाकिस्तान को सैन्य सहायता दी तो वहीं अजरबैजान ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज को पत्र लिखकर अपना समर्थन दिया था। इसके बाद से भारत में भी इस देश के प्रति लोगों में उबाल है। इन देशों के साथ पर्यटन और ट्रेड आदि के बहिष्कार की मांग की जा रही है।
अजरबैजान को लेकर लोगों में गु्स्सा इसलिए भी है, क्योंकि भले ही अजरबैजान मुस्लिम राष्ट्र हो, लेकिन वहां की प्राचीन संस्कृति भारत से मेल खाती है। इसकी गवाही देता है, अजरबैजान की राजधानी में मौजूद एक प्राचीन मंदिर। इस मंदिर में साल 2018 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी पहुंची थीं। उस दौरान उनकी एक तस्वीर काफी चर्चा में रही थी। तस्वीर में सुषमा स्वराज हाथ जोड़े खड़ी थीं और उनके सामने ज्वाला धधक रही थी। तस्वीर इसलिए चर्चा में रही, क्योंकि अजरबैजान इस्लामिक देश है और सुषमा स्वराज राजधानी बाकू में ऐसी जगह खड़ी थीं वहां पास ही लगे एक शिलालेख पर संस्कृत श्लोक लिखे थे।
बाकू के मंदिर में अग्नि और गणेश पूजा होने के सबूत ये बताते हैं कि भारतीय सनातन परंपरा नक्शे और ग्लोब की मानव निर्मित सीमाओं से परे आस्था का ऐसा विषय हैं, जिसे इस देश की सभ्यता और संस्कृति किसी न किसी रूप में अपना आराध्य मानती रही है और उन्हें उस आले दर्जे पर बिठाती है, जो जगह उनके मन में ईश्वर के लिए है। सनातन में गणेश शब्द का अर्थ भी, गणों का देवता, गण का स्वामी और अगुआ के तौर पर प्रयोग किया जाता है। ऐसे में श्रीगणेश सहज ही किसी भी जनजाति, उपजाति, वर्ग या समुदाय के देवता-अधिष्ठाता बन जाते हैं। यह गुण उनके गणेश नाम को सार्थक भी करता है।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में मौजूद इस मंदिर को आतेशगाह के नाम से जाना जाता है। आतेश शब्द फारसी के आतिश से लिया गया है और इसका अर्थ आग होता है। गाह का अर्थ होता है, निवास स्थान या फिर सिंहासन या तख्त। आतेशगाह का अर्थ हुआ आग का निवास स्थान या अग्नि स्थान इसे ज्वाला मंदिर भी कहा जाता है और ऐसे ऐतिहासिक तथ्य मिले हैं कि सत्रहवीं सदी तक इस स्थान को इसी ज्वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता रहा है। बाकू के पास के सुराख़ानी शहर में स्थित यह एक मध्यकालीन सनातनी धार्मिक स्थल है, इसमें एक पंचभुजा अकार के अहाते के बीच में एक मंदिर है। पंचभुज भी सनातनी आकृति है, जिस आकार में अक्सर यज्ञ कुंड बनाए जाते हैं और कई देवी-देवताओं के तांत्रिक शक्ति यंत्र भी इसी आकार में हैं। इस स्थल पर बाहरी दीवारों के साथ कमरे बने हुए हैं और माना जाता है कि जिनमें कभी उपासक रहा करते थे।
बाकू आतेशगाह का निर्माण 17वीं और 18वीं शताब्दियों में हुआ था और 1883 के बाद इसका इस्तेमाल बंद हो गया जब इसके इर्द-गिर्द ज़मीन से पेट्रोल और प्राकृतिक गैस निकालने का काम शुरू किया गया। 1975 से यहां एक संग्रहालय बनाया गया और इसे देखने सालभर हजारों सैलानी आते हैं। साल 2007 में आतेशगाह को ऐतिहासिक-वास्तुशिल्प क्षेत्र घोषित किया गया था।