आज पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा चन्द्रमा, सुपरमून देखने के लिए रहें तैयार  

पूर्णिमा को लग रहा है आंशिक उप-छाया चन्द्र ग्रहण, नहीं लगेगा सूतक

लखनऊ। आगामी 26 मई को पूर्णिमा के अवसर पर बच्चों के प्यारे चंदा मामा पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक होगे। खगोलीय भाषा में इस घटना को सुपर मून या सुपर फ्लावर मून कहा जाता है। जिसके कारण चन्द्रमा का आकार सामान्य से बड़ा व अधिक चमकीला दिखेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के खगोलीय वैज्ञानिक सुमित कुमार श्रीवास्तव के अनुसार सामान्य रूप से चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी तीन लाख चौरासी हजार चार सौ किलोमीटर मानी जाती है। पृथ्वी का परिक्रमण पथ अण्डाकार होने के कारण कभी चन्द्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक होता है तो कभी अधिकतम दूरी पर। सुपरमैन की स्थिति को खगोलीय भाषा में पेरिगी कहलाती है। इससे चन्द्रमा काफी बड़ा व चमकीला दिखायी देता है। वही पृथ्वी से अधिकतम दूर होने की स्थिति अपोगी कहलाती है। सुपर मून की स्थिति में चन्द्रमा की दूरी तीन लाख सत्तावन हजार तीन सौ नौ किलोमीटर रह जाती है।

वही अपोगी की स्थिति में यह दूरी बढ़कर चार लाख पांच हजार छ: सौ छियानवे किलोमीटर हो जाती है। यदि चन्द्रमा की पेरिगी स्थित में पूर्णिमा पड़ जाय तो सुपर मून दिखायी देता है। वर्ष में न्यूनतम बारह पूर्णिमा पड़ती है। परन्तु ऐसा कम ही होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ जाय। इसलिये यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है। 26 मई को पूर्णिमा की स्थिति दोपहर 04:44 पर प्राप्त होगी। चन्द्रमा निकलने का समय शाम 5:35 का है अत: सूपर मून के अद्भुत नजारे को पूरी रात देख सकते है। परन्तु आकार में बड़ा चन्द्रमा क्षितिज के पास ही नजर आयेगा। अत: शाम को अपनी छतों से इस अविस्मरणीय खगोलीय घटना को देखा जा सकता है। इसके पूर्व सत्ताइस अप्रैल को सुपर मून दिखायी दिया था

जिसे सुपर पिंक मून भी कहा गया था। इसी छब्बीस मई को दिन में 14:17:39 से उप-छाया चन्द्र ग्रहण भी लग रहा है। जो अगले पांच घण्टे और दो मिनट तक अर्थात 19:19:41 तक चलेगा। यह घटना भारतवर्ष में नही दिखायी देगी। यह ग्रहण पूर्ण या आंशिक रूप से दक्षिणी पूर्वी एशिया ऑस्ट्रेलिया उत्तरी अमेरिका दक्षिण अमेरिका प्रशांत महासागर अटलांटिक महासागर और अंटार्कटिका में दिखायी देगा। भारत में ग्रहण न दिखाई देने के कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा।