
भारत में इस समय गुस्से की लहर है, खासकर जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद. पूरा देश पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहा है. यह हमला उस बेशर्मी का सबूत है, जिसमें पाकिस्तान अपने यहां आतंकियों को पालता है और उन्हें भारत में हमले करने के लिए भेजता है. अब सवाल यह है कि भारत कब और कैसे पाकिस्तान को उसकी करतूतों का हिसाब चुकता करेगा?
भारत की सेना पहले ही सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे जबर्दस्त जवाब दे चुकी है, लेकिन अब हालात और भी ज्यादा गंभीर हो गए हैं. पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी मुहिम शुरू की जा सकती है. पाकिस्तान का पानी रोकने के बाद, भारत को अब अपनी पूरी शक्ति से जवाब देने की जरूरत है. सेना पूरी तरह से तैयार है और पाकिस्तान को यह महसूस कराना होगा कि भारत की सीमाओं से छेड़छाड़ की कीमत कितनी भारी हो सकती है.
आतंकियों की तेरहवीं कब?
18 सितंबर 2016 को उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने मात्र 11 दिन के अंदर ही सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के लॉन्चपैड को नेस्तनाबूत कर दिया था. वहीं, पुलवामा हमले के महज 12 दिन बाद ही भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकाने ध्वस्त हो गए थे. ये दोनों ही कार्रवाइयां पाकिस्तान के लिए करारा जवाब थीं. अब देखना यह है कि पहलगाम हमले के बाद भारत किस रणनीति से पाकिस्तान को और भी ज्यादा शर्मिंदा करेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट के मुताबिक, इस बार भी भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और सीमित सैन्य कार्रवाई जैसे कई विकल्प हैं. इस बार पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक अलगाव की कीमत चुकानी होगी, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी. यह सही मौका है जब भारत को सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर एक साथ हमला बोलने का निर्णय लेना चाहिए, ताकि पाकिस्तान को उसकी हरकतों का पूरा खामियाजा भुगतना पड़े.
देश एक गद्दारों पर हो कार्रवाई
अब केवल सीमापार की कार्रवाई नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के भीतर आतंकवादियों के मददगार ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स’ (OGWs) पर भी कठोर कार्रवाई करनी होगी. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन नेटवर्कों को जड़ से खत्म कर दिया जाए, तो आतंकवादी हमले नियंत्रित किए जा सकते हैं. इसके अलावा पाकिस्तान के आतंकियों को स्थानीय समर्थन मिलना, इन हमलों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाता है. इस दिशा में पहले ही कई ठिकानों को नष्ट किया जा चुका है.
सीजफायर की आड़ में पाक करेगा साजिश
अब बात करें सीजफायर की, तो पाकिस्तान इसका फायदा उठाकर अपनी गतिविधियां तेज कर रहा है. यह समय है जब भारत को अपनी रणनीति बदलते हुए सीजफायर का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान पर फिर से सर्जिकल या एयर स्ट्राइक का दबाव बनाना चाहिए. देश में आतंकवाद के खिलाफ जनता का मनोबल बनाए रखना बेहद जरूरी है, खासकर आगामी अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर. सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को नागरिकों के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे.
देशवासियों की बढ़ी उम्मीदें
देश अब इंतजार कर रहा है कि पहलगाम हमले के आतंकियों का हिसाब कब और कैसे चुकता होगा. क्या सरकार और सेना इस बार भी उतनी ही तेजी से कार्रवाई करेंगे, जितनी तेज़ी से पहले उरी और पुलवामा में की थी? देश की उम्मीदें इस बार और ज्यादा बढ़ गई हैं, और सरकार और सेना को यह साबित करना होगा कि आतंकवादियों के खिलाफ उनका इरादा कभी भी कमजोर नहीं पड़ा.