नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गरम हो रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) में अब विधायक आपस में चर्चा कर रहे हैं कि अब कौन-कौन राजनीति से संन्यास ले रहा है। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल के बाद दिलीप पांडेय द्वारा चुनावी राजनीति से किनारा कर लेने के पत्र आप संयोजक को भेज देने के बाद यह चर्चा जोरों पर है। दूसरे दलों के पार्टी में आ रहे कुछ नेता भी आप के लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं। आम आदमी पार्टी विधायक भी एक-दूसरे को यह कहकर डरा रहे हैं कि मेरा टिकट तो सुरक्षित है, मगर सामने वाले को कह रहे हैं कि उसी का टिकट कट जाने की चर्चा चल रही है, जबकि सच्चाई यह है कि यह किसी को पता ही नहीं है कि किसका कट रहा है, कौन सुरक्षित है।
दरअसल इस चुनाव में आप टिकट के लिए सर्वे में बहुत से चीजें शामिल कर रही है। सभी मुद्दों पर अध्ययन के बाद ही टिकट के लिए मुहर लग रही है।
राजनीति ऐसा समुंदर है जहां गोते लगाते ही लोगों की जन्म कुंडलियां खुलने लगती हैं। सर के नाम से जाने जा रहे अवध ओझा भी विवाद से कैसे बच सकते थे। कोचिंग के कारोबार से जुड़े ओझा गत दिनों जब अचानक आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए, तो उनके नाराज तमाम लोग भी अपनी भड़ास निकालने के लिए आगे आ गए। डिजिटल प्लेटफार्म एक्स पर तो लोगों ने उनके खिलाफ कुछ से कुछ तक बोलना शुरू कर दिया। कोई पूछ रहा सरजी अभी तक कितने छात्र-छात्राओं को आइएएस और आइपीएस बनाया है। इसी बीच एक इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की तारीफ करने के सवाल पर फंस गए। विवाद इसलिए हो गया कि आप की ओर से इंटरव्यू बीच में जो रोक दिया था। कोई विधानसभा चुनाव में टिकट पक्का करने के लिए पार्टी बदल रहा है, तो कोई बेहतर राजनीतिक भविष्य की उम्मीद से। एक दिन पहले तक वह अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करते हैं और अगले दिन दूसरी पार्टी का गुणगान।
सुरेंद्र सिंह बिट्टू का नाम भी इन नेताओं की सूची में शामिल हो गया है। कांग्रेस की हवा खराब होने पर वह आप में शामिल हुए थे। उसके बाद पिछली बार वह भाजपा के टिकट पर तिमारपुर से चुनाव मैदान में उतरे थे। इस बार टिकट खतरे में देखकर वह शुक्रवार को आप में चले गए। उससे एक दिन पहले दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में उनका चेहरा चमक रहा था। प्रदेश अध्यक्ष से मुकालात कर पार्टी को मजबूत करने पर चर्चा की और अगले दिन आप में शामिल हो गए। विस चुनाव नजदीक आते ही भाजपा में टिकट के लिए जोड़तोड़ शुरू हो गई है। जिला अध्यक्षों व सांसदों से योग्य दावेदारों की सूची मांगी गई है। पार्टी निजी एजेंसियों से सर्वे भी करा रही है। हाथों में अपना बायोडाटा लेकर दावेदार संगठन महामंत्री कार्यालय के आगे लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इतंजार करते दिख रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष से मिलने के लिए भी आवेदक घंटों प्रतीक्षा कर रहे हैं। इससे प्रदेश के कई बड़े नेता खुश नजर आ रहे हैं। उनका दावा है कि पार्टी की मजबूत स्थिति होने से इस बार दावेदार बढ़ गए हैं। कई नेताओं को इससे विधानसभा स्तर पर गुटबाजी बढ़ने का डर है। उनका कहना है कि गुटबाजी रोकने के लिए पार्टी को अभी से उचित कदम उठाने की जरूरत है।