इस परिवार के साथ रहते हैं 90 खूंखार जानवर, वजह जानकर हो जाएंगे इमोशनल

घर में पालतू जानवर पालने का शौक कई लोगो को होता हैं. ऐसे में कई बार कहा जाता हैं कि बाजार से ऊँची या विदेशी जात के कुत्ता बिल्ली खरीदने की बजाए अनाथ, बेघर जानवरों को पालना चाहिए. हम में से कई लोग ऐसा करते हैं जबकि कुछ झूठे दिखावे के लिए ऊँची जात के सुन्दर जानवर पालना ही पसंद करते हैं. ये तो हुई पालतू जानवरों की बात. लेकिन एक दुसरे प्रकार के जानवर भी आते हैं जिन्हें हम जंगली जानवर कहते हैं. आमतौर पर इन जानवरों की सुरक्षा के बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति से मिलाने जा रहे हैं जिसने ना सिर्फ इन जंगली जानवरों का अच्छा सोचा हैं बल्कि उस बारे में रियल लाइफ में बहुत कुछ किया भी हैं.

ये हैं डॉ. प्रकाश आमटे. महाराष्ट्र के हेमलकासा में रहने वाले डॉ. प्रकाश को जानवरों से बहुत प्रेम हैं. इनके पिता बाबा आमटे भी एक सोशल वर्कर रह चुके हैं. डॉ. प्रकाश ने अपनी पत्नी मन्दाकिनी के साथ अपने घर के आँगन में ही एक पशु संरक्षण केंद्र खोल रखा हैं. उन्होंने इसे नाम दिया हैं ‘The Amte Animal Ark’. आपको जान हैरानी होगी कि इसके अन्दर उन्होंने करीब 90 जंगली जानवरों को पनाह दे रखी हैं. यहाँ ये सभी अनाथ, घायल, और जरूरतमंद जंगली जानवरों को पनाह देते हैं.


इसकी शुरुआत उन्होंने 1991 में की थी. यहाँ तेंदुए, लकड़बग्घे, गीदड़, अजगर, मगर, भालू, मोर जैसे कई जंगली जनवरी रहते हैं. इनका ये संरक्षण केंद्र राहगीरों को भी बहुत आकर्षित करता हैं. खासकर कि बच्चों को यहाँ का नज़ारा देख बहुत मज़ा आता हैं. डॉ. प्रकाश की सोच हैं कि जानवर कोई भी, कैसे भी हो इन सभी के प्रति हमें दया की भावना रखनी चाहिए और जहाँ तक हो सके इनकी मदद करनी चाहिए. वे कहते हैं कि हमें इन जानवरों को नुकसान पहुचने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए.

ये पनाहगार बनाने की शुरुआत तब हुई जब डॉ. प्रकाश ने एक बार देखा कि कैसे एक जनजाती खाने के लिए इन जंगली जानवरों का शिकार कर रही हैं. उन्हें ये जान आश्चर्य हुआ कि ये लोग जानवरों के बच्चो तक का शिकार खाने के लिए करते हैं. एक बार उन्होंने एक समूह से विनती करी कि वे बन्दर के बच्चे को ना खाए और उसके बदले में उनसे खाने के लिए चावल ले ले. ये एक जंगली जानवर को बचाने का उनका पहला प्रयास था जो अब तक जारी हैं.

सिर्फ जानवर ही नहीं ये परिवार इंसानों की भी काफी मदद करता हैं. प्रकाश आमटे का बेटा एक डॉक्टर हैं. अपने बेटे के साथ मिलकर ये आमटे हॉस्पिटल चलाते हैं. यहाँ मरीजों का इलाज सिर्फ 10 रुपए की फ़ीस लेकर किया जाता हैं. इनके बेटी और पोते पोती भी सोशल वर्कर हैं और इन्ही की राह पर चल रहे हैं.

इस नेक काम की वजह से साल 2008 में डॉ. प्रकाश और उनकी पत्नी मन्दाकिनी आमटे को Ramon Magsaysay अवार्ड से सम्मानित किया गया. वहीँ डॉ. प्रकाश आमटे को तो पद्मश्री अवार्ड भी मिल चुका हैं. वाकई, अगर इस दुनिया में हर व्यक्ति का दिल इस परिवार की तरह दयालु और विनम्र हो जाए तो ये दुनिया किसी स्वर्ग से कम नहीं होगी.

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