किशन कन्हैया की थीं 16,100 पत्नियां, चौंका देगी पीछे की वजह

हिन्दू धर्म मे 33 करोड़ देवताओं का उल्लेख है उनमें सभी भगवान का अलग महत्व है पर भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के क्या कहने! यशोदा के नंदलाल भगवान श्रीकृष्ण की माया से भला कौन अंजान है, लेकिन आप मे से शायद ही किसी को पता होगा कि भगवान श्रीकृष्ण की 16,100 भार्या के साथ-साथ 8 पटरानियां थी। पवित्र ग्रंथ शास्त्रों एवं महाभारत से इस बात की जानकारी मिलती है कि श्रीकृष्ण की इतनी पत्नियां थी और सबके राज बताये गए हैं पर आपको इस बात का ज्ञान नही होगा। आज हम मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण के वैवाहिक जीवन की चर्चा करेंगे जिसमे कई रहस्य खुलकर सामने आएंगे।

श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण के नाम का तार्किक मतलब होता है अंधकार जिसे हम यह भी कह सकते हैं कि पूरी दुनिया को अपने आगोश में भर लेने वाला। वहीं उनकी चहेती प्रेमिका जो कृष्ण से भी पहले आती हैं- राधा, धारा शब्द को उल्टा करने पर राधा बनता है जिसका मतलब है बाहर से अंदर की ओर आना और शायद यही वजह है कि वो भी श्रीकृष्ण में समाहित हो गयी। आज जब भी श्रीकृष्ण का जिक्र होता है तो उनके साथ राधा नाम का उच्चारण जरूर होता है लेकिन आपने इस बात पर गौर किया है क्या की कभी उनकी पत्नियों के नाम क्यों नही लेते जबकि इतनी सारी पत्नियां हैं? आज हम जानेंगे श्रीकृष्ण की 16,100 पत्नियों और 8 पटरानियों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिससे आपके मन मे उठ रहे सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा…

कौन थी वो 16,100 पत्नियां

युगों-युगों तक चर्चा में रहने वाला महाभारत की विशालता से आप अच्छी तरह परिचित हैं। इसमें श्रीकृष्ण का भी योगदान था जहां धर्म और अधर्म को लेकर वर्षो तक युद्ध चला था। इसी दौरान शास्त्रों से पता चलता है कि की भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियां थी और 16,100 भार्या थी लेकिन विद्वानों ने इस बात को काटते हुए बताया है कि 16,100 पत्नियां सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर थी असल मे सिर्फ 8 रानियां ही थी जिनके साथ भगवान ने जीवन व्यतीत किया। यह भी बताया गया कि वो 16,100 रानियां असल मे वेद की ऋषिचाएं थी जो वेद के श्लोक यज्ञ और श्लोक पराशक्ति के बाद बच जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बचे श्लोक में गृहस्थ जीवन की चर्चा है। विद्वानों के मुताबिक ऋषचाओं को भगवान श्रीकृष्ण की रानी का नाम दिया गया और आज भी उन सभी को श्रीकृष्ण की भार्या के तौर पर जाना जाता है।

आठ पटरानियों से जुड़ी सच्चाई

विद्वानों ने आठ पटरानियां होने की बात कबूल की है और उनमें सबसे पहला नाम रुक्मणि का आता है। रुक्मणि को लेकर कहा जाता है विदर्भ देश के राजा की बेटी होने के साथ-साथ उसने जब श्रीकृष्ण की लीला के बारे में सुना तो मन ही में उन्हें अपना पति स्वीकार कर ली। फिर जब यह संदेश श्रीकृष्ण तक पहुंचा तो उन्होंने रुक्मणि का अपहरण करवा लिया इसके उपरांत विवाह कर लिए। दूसरी पत्नी का नाम कालिंदी है जिसे सूर्य-पुत्री माना जाता है। कहा जाता है कि कालिंदी उनकी भक्ति में ही लीन रहती थी इसलिए भगवान ने प्रसन्न होकर उससे शादी का फैसला लिया। तीसरी पत्नी का नाम मित्रवृंदा था जिसे उज्जैन राज्य से श्रीकृष्ण ने स्वयंवर जीत कर पत्नी बनाया था। चौथी पत्नी के रूप में उन्होंने राजा नग्नजित की पुत्री को स्वयंवर में जीता था और इसके लिए उन्होंने अपने करतब से 7 बैलों को एक साथ नथ कर सबको हैरान कर दिया।

पांचवी पत्नी के तौर पर उन्होंने यक्षराज की बेटी जाम्बवंती को स्वीकार किया। छठी पत्नी बनने वाली रोहिणी ने एक स्वयंवर के दौरान श्रीकृष्ण को ही अपना पति बनाने की ठान ली जिसके उपरांत राजा ने शादी कर दी। सातवी पत्नी के रूप में उन्होंने सत्यभामा राजा सात्राजीत की बेटी को स्वीकार किया और इसके लिए स्वयं राजा ने जिद किया था। अंतिम और आठवी पत्नी के तौर पर भगवान श्रीकृष्ण ने लक्ष्मणा के साथ विवाह रचाया।