
देश का पहला सूर्य आधारित मिशन
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो का चंद्रयान 3 चंद्रमा पर पहुंचने वाला है। इस बीच उसके एक और महत्वाकांक्षी अभियान आदित्य एल 1 का प्रक्षेपण अगले महीने होना तय हो गया है। यह भारत का पहला अंतरिक्ष अभियान होगा जो सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जाएगा। इस वेधशाला को सूर्य और पृथ्वी के बीच एक खास जगह पर स्थापित किया जाएगा जिससे वह सूर्य का लगातार हर पल सूर्य पर नजरें जमाए रख पाएगा। बताया जा रहा है कि सितंबर माह के पहले सप्ताह में इसरो इसका प्रक्षेपण कर देगा। इसके बाद इसरो उन स्पेस एजेंसी के समूह में शामिल हो जाएगा जिन्होंने सूर्य के लिए एक खास यान प्रक्षेपित किया है।
आदित्य एल 1 भारत का पहले अभियान है, जो सूर्य के अध्ययन के लिए ही पूरी तरह से समर्पित होगा। अंतरिक्ष यान पृथ्वी और सूर्य के बीच खगोलीय तंत्र के एक खास बिंदु लैगरेंज प्वाइंट 1, जिसे एल1 भी कहते हे, पर स्थापित कर दिया जाएगा। इस खास बिंदु की विशेषता यह है कि यहां वेधशाला के संचालन के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं होगी।
लैगरेंज बिंदु एल 1 पर होने से आदित्य एल1 के उपकरणों के पृथ्वी पर मौजूद टेलीस्कोप को जिन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उन मुसीबतों का सामना नहीं करना होगा। इतना ही नहीं वेधशला को पृथ्वी के घर्णन के कारण दिन रात के चक्कर से मुक्ति मिलेगी है। साथ ही यह वेधशाला सूर्य ग्रहण के प्रभाव से भी मुक्त रहेगी।
सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है। वहीं जहां आदित्य एल1 को स्थापित किया जाएगा, वह लैगरेंज बिंदु 1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित है। इसकी प्रक्षेपण की योजना कोविड के कारण समय पर नहीं हो सकी थी। लेकिन अब अगले महीने के पहले सप्ताह में इसे सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा। आदित्य एल-1 का काम सूर्य के ऊपरी वायुमंडल यानि क्रोमोस्फीयर और कोरोना की गतिकी का अध्ययन करना, क्रोमोस्फीयर और कोरोनल हीटिंग, आंशिक आयनीकृत प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत और सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना होगा।