कोलकाता । जूनियर डॉक्टरों के अनशन को लेकर सोमवार को एक अहम बैठक होने जा रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सहित सभी प्रमुख चिकित्सक संगठनों के साथ मुख्य सचिव मनोज पंत इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। नवान्न प्रशासन ने रविवार को ईमेल के माध्यम से संगठनों को बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जो सोमवार दोपहर 12:30 बजे सॉल्टलेक स्थित स्वास्थ्य भवन में होगी। हर संगठन से दो प्रतिनिधियों के इस बैठक में शामिल होने की अनुमति दी गई है, और उनके नाम ईमेल के जरिए भेजने को कहा गया है।
जूनियर डॉक्टर पांच अक्टूबर से कोलकाता के धर्मतला में अपने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनशन कर रहे हैं। अनशनकारियों की बिगड़ती सेहत को देखते हुए तीन जूनियर डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है, जिनका इलाज आईसीयू में चल रहा है। इसके अलावा, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में भी दो डॉक्टर अनशन पर बैठे हैं। आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिल रहा है, क्योंकि कई वरिष्ठ डॉक्टर और आम लोग भी इस संघर्ष में शामिल हो गए हैं।
आईएमए के अध्यक्ष आरवी अशोकन खुद कोलकाता आकर अनशनकारी डॉक्टरों से मिले और उनके आंदोलन को समर्थन दिया। इसके साथ ही, देशभर के चिकित्सक संगठनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर डॉक्टरों की मांगें स्वीकार करने का अनुरोध किया है। कई सरकारी डॉक्टरों ने इस संघर्ष के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए सामूहिक इस्तीफे की धमकी भी दी है।
पिछले हफ्ते बुधवार को भी मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य भवन में जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठक की थी, लेकिन उस बातचीत से कोई समाधान नहीं निकल पाया, जिससे डॉक्टरों में गहरी नाराजगी देखी गई। आंदोलनकारी डॉक्टरों में से एक, अनिकेत कर ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता से चर्चा करे। हर बार हम बैठक में गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं मिला है। वरिष्ठ डॉक्टर हमारे साथ खड़े हैं। देखते हैं, इस बार बैठक में क्या होता है।”
आईएमए ने मंगलवार को देशव्यापी 12 घंटे के प्रतीकात्मक अनशन का आह्वान किया है। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज से संबंधित मामले की सुनवाई भी होनी है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में जूनियर डॉक्टरों के अनशन का मुद्दा भी उठ सकता है। इन परिस्थितियों को देखते हुए, मुख्य सचिव की पहल को गतिरोध समाप्त करने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार की इस पहल से क्या समाधान निकलेगा, यह सोमवार की बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। अनशनकारी डॉक्टरों और राज्य प्रशासन के बीच यह संवाद मौजूदा संकट को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकता है।