
दिल्ली‑हिसार की चमकदार ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा अचानक राष्ट्रीय सुरक्षा की सबसे ताज़ा चुनौती बन गई है. इंस्टाग्राम पर 1.31 लाख फ़ॉलोवर पाने वाली ‘ट्रैवल विद जो’ का अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि जांचकर्ताओं को शक है कि उसके रंग‑बिरंगे वीडियो दरअसल सीमा‑पार जासूसी का पर्दा थे. ये पन्ना‑बंद होते ही सुरक्षा एजेंसियों ने एक ऐसी सोशल‑मीडिया अंडरवर्ल्ड की परतें खंगालनी शुरू की हैं जहां ताज़ा रीलों के पीछे गोपनीय सूचनाएं अदला‑बदली हो रही थीं.
पूछताछ में खुलासा हुआ कि ज्योति का लाइफ़‑स्टाइल उसकी घोषित आमदनी से कई गुना ऊंचा था. आलीशान होटल, अचानक उभरती विदेशी यात्राएं और ‘स्पॉन्सरशिप’ के नाम पर बेहिसाब ख़र्च ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया. रिकॉर्ड दिखाते हैं कि उसकी अधिकतर उड़ानें और ठहरने का बिल अज्ञात स्रोतों से चुका दिया जाता था, जबकि ब्रांड‑डील के काग़ज़ी सबूत बमुश्किल मिलते थे. यही फाइनेंशियल गैप पहली कड़ी बना, जिसने ट्रैवल व्लॉगर को संभावित ‘ह्यूमन‑आसेट’ की श्रेणी में ला खड़ा किया.
डिजिटल ‘हनी‑पॉट’ की तरह किया इस्तेमाल
हिसार पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों का आरोप है कि पाकिस्तानी मंत्रालयों से जुड़े ऑपरेटिव्स ने उसे डिजिटल ‘हनी‑पॉट’ की तरह इस्तेमाल किया. व्लॉगिंग की आड़ में वह सीमावर्ती इलाक़ों, सैन्य ठिकानों और संवेदनशील इन्फ्रास्ट्रक्चर की तस्वीर शेयर करती रही, कभी ट्रैवल टिप्स, कभी लोकल फ़ूड रिव्यू के बहाने. एसपी शशांक कुमार सावन ने साफ़ कहा, “आधुनिक युद्ध अब हैशटैग और हाइपरलिंक के ज़रिए लड़ा जा रहा है. प्रभावशाली कंटेंट‑क्रिएटर्स इसकी सबसे सॉफ्ट टार्गेट हैं.”
मरियम नवाज़ का लिया इंटरव्यू
तथ्यों से पता चलता है कि वह 2023 में कमीशन एजेंटों के सहारे तीन बार पाकिस्तान गई, एक बार चीन भी, और करतारपुर कॉरिडोर विज़िट के दौरान पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ शरीफ़ का इंटरव्यू भी लिया. 42 मिनट के उस वीडियो में नवाज़ परिवार के सदस्यों के अनफिल्टर्ड बयान और कॉरिडोर की सुरक्षा पर मोटे‑तौर पर ‘बै‑रॉल’ शूट शामिल थे, जिन्हें एजेंसियां अब संदिग्ध ‘विज़ुअल इंटेल’ मान रही हैं.
ग्रुप में शेयर होते थे रॉ फुटेज
ज्योति अकेली कड़ी नहीं है. प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेल से पता चला कि वह दिल्ली‑एनसीआर के कुछ और सोशल‑मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स के निजी ग्रुप की एडमिन थी, जहां एडिटेड ड्रोन शॉट्स और रॉ फ़ुटेज शेयर होते थे. कुछ हैंडल्स ने हाल ही में लोकेशन‑टैग छुपाकर पुराने पोस्ट डिलीट किए हैं. पुलिस ने पांच डाटा रिकवरी नोटिस जारी किए और साइबर सेल को क्लाउड‑बैकअप खंगालने को कहा है.
सरकारी निगरानी जरूरी
यह गिरफ़्तारी बताती है कि ‘कंटेंट क्रिएशन’ और ‘काउंटर‑इंटेलिजेंस’ की लकीर तेज़ी से धुंधली हो रही है. सुरक्षा विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि जब तक सोशल‑मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, ब्रांड‑एजेंसियां और सरकारी निगरानी तंत्र मिलकर पारदर्शी प्रोटोकॉल नहीं बनाते, तब तक अगली ज्योति मल्होत्रा किसी भी रील या स्टोरी में छिपी मिल सकती है.