ट्रेड डील में फंसा दूध : Non-Veg Milk को लेकर भारत-अमेरिका आमने-सामने, 8 करोड़ लोगों को देता है रोजगार

India US Trade: भारत और अमेरिका के बीच ‘नॉन वेज मिल्क’ कारोबार को लेकर व्यापार वार्ता एक अहम मोड़ पर पहुंचने के बाद रुक गई. भारत ने साफ इनकार कर दिया है कि वह ‘नॉन-वेज मिल्क” (एक ऐसी दूध-उत्पाद श्रेणी जो ऐसे पशुओं से प्राप्त होती है जिन्हें पशु-आधारित चारे-जैसे मांस, खून, मछली आदि-खिलाया गया था) के आयात की इजाजत नहीं देगा. जबकि अमेरिका प्रशासन का कहना है कि भारत सरकार इस मामले में टांग न अड़ाए.

 दरअसल, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की बातचीत के बीच वाशिंगटन डीसी ख्वाहिश है कि नई दिल्ली अपना डेयरी उत्पाद का बाजार उसके लिए खोले, लेकिन भारत सख्त प्रमाणीकरण पर जोर दे रहा है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आयातित दूध उन गायों से आए जिन्हें मांस या रक्त जैसे पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए गए हैं, यह साबित हो सके. धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं के कारण भारत इसे खुद के लिए “अनैतिक लाल रेखा” मानता है. 

500 अरब डॉलर का ट्रेड लक्ष्य खटाई में

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर शीर्ष वार्ताकारों के बीच गहन बातचीत के बीच किसानों के हितों की रक्षा के अलावा ‘मांसाहारी दूध’ को लेकर सांस्कृतिक संवेदनशीलता भी एक बड़ा मुद्दा है. भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जिसका उद्देश्य एक समझौता हासिल करना और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है. इस राह में डेयरी प्रॉडक्ट पर ट्रेड डील रुकना बड़ी बाधा बनकर उभरी है. कृषि के साथ-साथ नई दिल्ली का डेयरी क्षेत्र भी एक बड़ी रेड लाइन के रूप में उभकर सामने आया है.

केंद्र सरकार ने क्यों किया इनकार?

व्यापार गतिरोध का मूल कारण भारत का सख्त प्रमाणीकरण पर जोर है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आयातित डेयरी उत्पाद उन गायों से आएं हैं, जिन्हें मांस या रक्त जैसे पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए जाते है।. नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अजय श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “कल्पना कीजिए कि आप उस गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं जिसे किसी दूसरी गाय का मांस और रक्त खिलाया गया हो. भारत शायद इसकी कभी अनुमति नहीं देगा.”

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अजय श्रीवास्तव के अनुसार, ‘भारत दूध का सिर्फ उपभोग के लिए ही नहीं, डेयरी उत्पाद भारत में रोजमर्रा के धार्मिक अनुष्ठानों का भी एक अनिवार्य हिस्सा होता है.’ 

अमेरिका का तर्क क्या है?

वाशिंगटन डीसी ने डेयरी और कृषि पर भारत के अड़ियल रुख को ‘अनावश्यक व्यापार बाधा’ करार दिया है. दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश भारत अपने लाखों छोटे डेयरी किसानों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है.

8 करोड़ लोगों को देता है रोजगार

सूत्रों के अनुसार भारत ने डेयरी पर कोई समझौता करने से साफ इनकार कर दिया है. बता दें कि यह क्षेत्र 1.4 अरब से ज्यादा लोगों का पेट भरता है. 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है. इनमें मुख्य रूप से छोटे किसान शामिल हैं.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत अभी तक उच्च शुल्क लगाता है. पनीर पर 30%, मक्खन पर 40% और दूध पाउडर पर 60%, जिससे न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कम लागत वाले उत्पादकों से भी आयात करना मुश्किल है. इसके अतिरिक्त, भारत का पशुपालन और डेयरी विभाग खाद्य आयात के लिए पशु चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य करता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि डेयरी उत्पादों सहित सभी उत्पाद ऐसे पशुओं से प्राप्त हों जिन्हें गोजातीय आहार नहीं दिया जाता है. यह एक ऐसी आवश्यकता है जिसकी अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में आलोचना की है.

भारत के स्वाद और परंपरा से गहराई से जुड़े दूध से कई ऐसे पदार्थ प्राप्त होते हैं जिनका घरों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जैसे दही, घी, मक्खन, पनीर, छाछ, खोया, मलाई और गाढ़ा दूध.

क्या होता है नॉन वेज मिल्क?

नॉन वेज मिल्क यानी वे डेयरी प्रोडक्ट्स जो ऐसे पशुओं के दूध से बने होत हैं, जिनको मांस खिलाया खिलाया जाता है या खून पिलाया जाता है. अमेरिका के एक दैनिक अखबार द सिएटल टाइम्स के अनुसार, “पशु आहार अक्सर एनिमल पार्ट्स का मिश्रण होता है.” दरअसल, अमेरिका में ‘गायों को अभी भी ऐसा खाना देने की इजाजत है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गे, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते के पार्ट्स भी शामिल हो सकते हैं. मवेशियों को प्रोटीन के लिए सूअर और घोड़े का खून भी दिया जाता है. इसके अलावा, मोटा होने के लिए Tallow दिया जाता है, जो एनिमल पार्ट्स से बनी सख्त वसा होती है.’

भारत ऐसे दूध को लेकर सांस्कृतिक और धार्मिक नजरिए से सेवन करना अनैतिक माना जाता है. इसको लेकर लोगों का रुख काफी संवेदनशील है. भारत अमेरिका से यह आश्वासन चाहता है कि आयातित दूध इस तरह से उत्पादित न हो. जबकि अमेरिका गायों को मांसाहारी आहार, जिसमें मुर्गी पालन के उपोत्पाद और मछली का भोजन शामिल है, खिलाने की इजाजत है.

भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर अहम सवाल

भारत और अमेरिका के बीच डेयरी उत्पादों को लेकर मुख्य मुद्दा यह है कि क्या अमेरिका इस बात की गारंटी दे सकता है कि आयातित दूध केवल शाकाहारी आहार खाने वाली गायों से उत्पादित किया जाता है, क्योंकि दृष्टिकोण में यह अंतर दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ता में एक बड़ी बाधा है.

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