डिजिटल अरेस्ट केस में ऐतिहासिक फैसला: 9 दोषियों को उम्रकैद, कंबोडिया से जुड़ा गिरोह का कनेक्शन

देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों के बीच पश्चिम बंगाल से एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां एक रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक को डिजिटल अरेस्ट के जरिए डराया गया और उनसे करीब एक करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर क्राइम पुलिस और पश्चिम बंगाल CID ने संयुक्त अभियान चलाकर 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया।

कोर्ट का सख्त फैसला: सभी आरोपियों को उम्रकैद

पश्चिम बंगाल के कल्याणी उपजिला न्यायालय ने इस ऐतिहासिक मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए सभी 9 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह देश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें डिजिटल ठगी से जुड़े अपराधियों को इतनी कठोर सजा दी गई है। कोर्ट का यह फैसला साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है।

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ की सच्चाई?

पीड़ित सेवानिवृत्त वैज्ञानिक को कॉल कर यह बताया गया कि वे किसी अपराध में फंसे हैं और उनकी गिरफ्तारी तय है। उन्हें यह भी कहा गया कि यदि वे तुरंत पैसे नहीं भेजते, तो उन्हें डिजिटल तरीके से ‘अरेस्ट’ कर लिया जाएगा। डर और भ्रम में आकर उन्होंने किश्तों में करीब एक करोड़ रुपये ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।

चार राज्यों से गिरफ्तारी, महिला आरोपी भी शामिल

जांच के दौरान पुलिस ने राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात से आरोपियों को पकड़ा। सभी के पास से मोबाइल फोन, बैंक पासबुक, पैन कार्ड, चेकबुक सहित कई दस्तावेज बरामद किए गए। इन अपराधियों ने देशभर के सैकड़ों लोगों को इसी तरह ठगा था। गिरफ्तार आरोपियों में एक महिला भी शामिल है।

विदेश से हो रही थी ठगी की कमान, कंबोडिया में बैठा था सरगना

सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि इस गैंग का सरगना कंबोडिया में बैठा था और वहीं से पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहा था। पुलिस ने ठोस सबूतों के साथ 2,000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की, जिसके आधार पर गुरुवार को सभी 9 आरोपियों को दोषी करार दिया गया और शुक्रवार को कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। 

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