आजकल शहरों और महानगरों में रहने वालों के पास कार्याधिक्यता होने के कारण अपनी आवश्यकताओं की पुर्तियाँ घर बैठे करने या कराने का चलन हो गया हैं। छोटे कस्बों और ग्रामीण अंचल इनसे अछूते हैं।
महानगरों में खाना बुलाना और हर सामग्री जैसे साग सब्जियां किराना आदि ऑनलाइन बुलाने का चलन आम हो गया हैं, बहुत पहले घरों में डाकिया ही आता था डाक देने उसके अलावा हर काम खुद करते थे। जगह छोटी रहती थी और दुकाने पहुँच में होती थी। स्वयं जाकर अपनी मनपसंगी की सामग्रियां लाते थे, वहां पर आज जैसे व्यस्तता नहीं थी।
वर्त्तमान समय में आक्रामक बाज़ारीकरण के कारण और विज्ञापनों के माध्यम से हमारे मन मष्तिष्क में यह बात बैठा दी गयी हैं की हम घर बैठे सब सामान बुला सकते हैं, हर सामग्री का कोड नंबर होने से अपनी स्वेच्छानुसार सामग्री बुला सकते हैं और आ भी रही हैं। इसमें अब मोल भाव के साथ चुनाव करने का अवसर नहीं होता हैं। इसमें कभी कभी सही सामग्री भी मिलती हैं और कभी गलत सामान भी मिलता हैं। इसमें पैसा अधिक अप्रत्यक्ष में देना पड़ता हैं जिसे सेवा शुल्क भी कहते हैं।
आजकल जोमेटो, स्विग्गी आदि कई व्यवसायिक केंद्र बन गए हैं हो निश्चित समयावधि में आपको खाना पहुंचाते हैं। विलम्ब होने पर उसकी भरपाई करनी होती हैं। इस सम्बन्ध कई बार कई ऐसी घटनाओं की जानकारी दी कि उनमे से कुछ सेवक पैकिंग खोलकर खाना खाते हैं।
आजकल रेडीमेड खाना खाने का चलन बहुत हैं। जब हमें स्वयं होटल में उपस्थित होकर क्या कैसा दिया जा रहा हैं इसकी कोई गारण्टी नहीं होती हैं। अभी पिछले दिनों एक होटल के खाने में मरा चूहा निकला। कीड़े मकोड़े निकलना तो बहुत सामान्य बात हैं।
इनसे अधिक संवेदनशील बात यह हैं की हमारे आर्डर के बाद जो डेलिवरी बॉय आकर हमे सामग्री। सामान प्रदाय करते हैं उनको हमारा पता, मोबाइल नंबर के अलावा हमारे परिवार की भी जानकारी मिलती रहती हैं कि हमारे परिवार में कितने लोग हैं और कौन कौन हैं जैसे पति -पत्नी बच्चे, सास -ससुर, नाना- नानी आदि उससे सभी नहीं पर कुछ अपराधी किस्म के लोग इसका फायदा उठाते हैं और कभी कभी लूट के लिए हत्या करने से भी नहीं चूकते। आज कल बहुमजिला भवनों में बहुत अच्छी सुरक्षा होती हैं और उसी में ऐसी वारदाते होती हैं, सुरक्षा करने वालों से सांठ गाँठ होने के कारण अपराध करना सुगम हो जाता हैं, आजकल सामाजिकता ख़तम होने से आस पड़ोस को भी नहीं मालूम पड़ता हैं।
इससे बचने का क्या उपाय हो सकता हैं ?
हर मनुष्य को ईश्वर ने २४ घंटे ही दिए हैं, हमारा समय का प्रबंधन ऐसा होना चाहिए की हम अपना व्यवसाय, नौकरी के साथ नित्य की जरूरतों को स्वयं करे। अधिक पराधीनता दुःख का कारण होता हैं, नित्य डेलिवरी बॉय का आना जिसे आपके मोबाइल नंबर, पता मालूम होना बहुत खतरनाक हो सकता हैं की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं, से बचना चाहिए। और जो यह काम करते या करवाते हैं वे सामान्य जनो से अधिक शिक्षित और सम्पन्न होते हैं। स्वाभाविक हैं वे समझदार भी होते हैं। हमे स्वालम्बी होकर काम करना चाहिए। परावलम्बी होने से कभी कभी कठिनाई उठानी पड़ सकती हैं। लेखक – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन