तगड़ा नुकसान : पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर भारी तबाही, सैटेलाइट तस्वीरें दे रहीं गवाही

चीन की सैटेलाइट इमेजरी से पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर भारतीय हमलों के बाद हुए नुकसान का खुलासा हुआ है, जिसमें पांच प्रमुख पाकिस्तानी वायुसेना ठिकानों को निशाना बनाया गया. पाक सेना ने हमलों की पुष्टि की और नूर खान एयरबेस की रणनीतिक महत्ता को स्वीकार किया. चार दिन की झड़पों के बाद, भारत और पाकिस्तान ने तनाव घटाने पर सहमति जताई, जिससे युद्ध की संभावना टल गई.

चीन की सैटेलाइट इमेजरी कंपनी MIZAZVISION द्वारा जारी ताजा उपग्रह चित्रों ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर भारतीय हवाई हमलों के बाद हुए नुकसान को उजागर कर दिया है. इन हमलों में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के पांच प्रमुख वायुसेना ठिकानों रफीकी, मुरीद, नूर खान, चुनियान और सुक्कुर को निशाना बनाया.

पाकिस्तानी सेना स्वीकारी एयरबेस पर हमले की बात

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने एक टेलीविजन संबोधन में स्वीकार किया कि भारतीय मिसाइलों ने रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस, चकवाल के मुरीद एयरबेस और पंजाब के झंग जिले में रफीकी एयरबेस पर हमला किया. नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील वायुसेना अड्डों में शामिल है और इसकी सामरिक महत्ता अत्यधिक है. यह एयरबेस इस्लामाबाद से केवल 10 किलोमीटर दूर स्थित है.

नूर खान एयरबेस की रणनीतिक अहमियत

नूर खान बेस पाकिस्तान वायुसेना के मुख्य परिवहन स्क्वाड्रनों का केंद्र है. यहां से सी-130 हरक्यूलिस, साब 2000 जैसे भारी परिवहन विमान और आईएल-78 जैसे मिड-एयर रिफ्यूलर संचालित किए जाते हैं. यह बेस न केवल रसद आपूर्ति बल्कि उच्च-स्तरीय अधिकारियों और वीआईपी की एयरलिफ्ट के लिए भी अहम भूमिका निभाता है. इस हमले ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं पर स्पष्ट असर डाला है.

चार दिन की झड़पों के बाद तनाव घटाने पर बनी सहमति

लगातार चार दिन तक चले सैन्य हमलों और सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने तनाव को कम करने का निर्णय लिया. सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी घोषणा की और इसके बाद भारत सरकार ने भी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि की. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि यह सहमति दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधे संवाद के जरिए बनी.

अमेरिका की मध्यस्थता पर भारत की प्रतिक्रिया

हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान ने किसी तटस्थ स्थल पर व्यापक वार्ता पर सहमति जताई है. लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया. विदेश सचिव ने स्पष्ट किया कि कोई तीसरी पार्टी मध्यस्थता नहीं कर रही और वार्ता केवल डीजीएमओ स्तर पर ही हुई है.

युद्ध के मुहाने से लौटे दोनों देश

चार दिनों तक सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार विस्फोटों और भारी गोलीबारी की घटनाओं ने दोनों देशों को पूर्ण युद्ध की कगार पर ला दिया था. सीमावर्ती शहरों में नागरिकों को रात भर बंकरों में शरण लेनी पड़ी. हालांकि, अंततः दोनों देशों ने पीछे हटने का निर्णय लिया, जिससे एक बड़े युद्ध की आशंका टल गई.

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