![](https://dainikbhaskarup.com/wp-content/uploads/2025/02/117523010_whatsubject.jpg.webp)
बरेली। देहात के नवाबगंज थाना क्षेत्र में 1 मई 2024 को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी। जिसमें एक महिला को उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज की मांग पूरी न होने पर निर्ममता से मार डाला। अपराध में दोषी पाए गए पति मकसद अली, ससुर साबिर अली और सास मसीतन उर्फ हमसीरन को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। फैसला स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने सुनाया, जिससे पीड़िता के परिवार को न्याय मिला।
मृतका फराह की शादी करीब दो साल पहले मकसद अली से हुई थी। शादी के बाद से ही मकसद अली और उसके परिवार वाले फराह को दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। वे फराह के मायके वालों से बुलेट बाइक और सोने के जेवरात की मांग कर रहे थे। जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने फराह को जान से मारने की साजिश रची। 1 मई 2024 की शाम करीब 4 बजे फराह की हत्या कर दी गई।
घटना के दिन मकसद अली, उसकी मां मसीतन और पिता साबिर अली ने मिलकर फराह को बांके से गला काटकर मार डाला। यह हत्या इतनी क्रूरता से की गई कि इलाके में सनसनी फैल गई। फराह के परिवार वालों को इस घटना की सूचना मिलने के बाद वे तुरंत पुलिस के पास पहुंचे और नवाबगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मकसद अली, उसकी मां मसीतन और पिता साबिर अली को गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान सामने आया कि फराह को लंबे समय से दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। उसके मायके वालों ने कई बार समझौता कराने की कोशिश की, लेकिन ससुराल वाले अपनी मांग पर अड़े रहे। हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ उत्पीड़न, दहेज हत्या और दहेज अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और आरोप पत्र कोर्ट में भेजा। इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई। सरकारी वकीलों संतोष श्रीवास्तव और सौरभ तिवारी ने आरोपियों के खिलाफ मजबूत दलीलें पेश कीं। अदालत में फराह के परिवार की ओर से कई साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, जिससे साबित हुआ कि मकसूद अली और उसके माता-पिता ने मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। सरकारी अधिवक्ता दिगंबर पटेल ने इस केस की विवेचना करने वाले सीओ हर्ष मोदी समेत आठ गवाहों को कोर्ट में पेश किया। इन गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर अदालत ने 4 फरवरी 2025 को तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया और 8 फरवरी 2025 को सजा का ऐलान किया।
स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने आरोपियों को दोषी मानते हुए मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक आरोपी पर 1 लाख 80 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने कहा कि यह अपराध बेहद जघन्य है और समाज में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कठोरतम सजा देना आवश्यक है।