दिल्लीl प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र तोमर द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारत वर्ष की स्वर्णाभा: नरेंद्र मोदी’ उनके जीवन, व्यक्तित्व और प्रभावशाली कार्यों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक बताती है कि कैसे एक सामान्य परिवार से निकलकर एक साधारण से व्यक्ति ने अपने अथक परिश्रम, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से विश्व पटल पर भारत की अमिट पहचान बना दी। भारत की राजनीति और समाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का व्यक्तित्व हमेशा से ही चर्चा और अध्ययन का विषय रहा है, इस लिहाज से यह पुस्तक इस चर्चा को एक नया आयाम प्रदान करती है। प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र तोमर द्वारा लिखित यह पुस्तक मात्र एक जीवनी ना होकर, एक ऐसी दार्शनिक दृष्टि है, जो मोदी जी के व्यक्तित्व को साधारण नेता की परिभाषा से कहीं आगे ले जाकर एक युगपुरुष और अवतार के रूप में प्रस्तुत करती है। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की शुरुआत ही धर्म रक्षार्थ नरेंद्र का अवतार नामक अध्याय से होती है। इसमें प्रधानमंत्री जैसे पद पर रहते हुए भी उनकी आध्यात्मिकता और सम्पूर्ण व्यक्तित्व में धार्मिक प्रवृत्ति की झलक का वर्णन है। पीएम मोदी के समग्र व्यक्तित्व की पड़ताल करते हुए पुस्तक के शुरू में ही उल्लेख है कि मोदी के लिए राजनीति , शासन और अध्यात्म में कोई विरोधाभास नहीं है। उन्हें राजनीति के घोर कलियुगी दौर में संत हृदय , महापुरुष, ऋषिस्वरूप प्रधानमंत्री बताया गया है। “कलियुग में राम के हनुमान मोदी “ शीर्षक से सातवें अध्याय में इस धारणा को पुष्ट किया गया है। इसमें राम मंदिर निर्माण में मोदी की भूमिका का विस्तार से जिक्र है। नया भारत : दुश्मन पर करारा प्रहार अध्याय में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से की गई है।
पुस्तक का दूसरा अध्याय नरेंद्र मोदी के बचपन और उनका माता हीराबेन के प्रति स्नेह का चित्रण करता है। इस प्रसंग के माध्यम से लेखक ने मां-बेटे के ममतामयी रिश्ते का खूबसूरत चित्रण किया है। लेखक ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि मातृशक्ति ने किस प्रकार नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया। इस पुस्तक में बताया गया है कि बेहद सामान्य परिवार से आने वाला एक साधारण सा बालक, जिसने चाय की दुकान पर कार्य करते हुए संघर्षपूर्ण जीवन जिया, आगे चलकर अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत के दम पर देश का प्रधानमंत्री बन जाता है।
इस पुस्तक में लेखक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने नरेंद्र मोदी को केवल देश का प्रधानमंत्री कह कर संबोधित करने की बजाय प्रधान सेवक’ और ‘कलियुग के हनुमान’ की संज्ञा दी है। अपनी पुस्तक के माध्यम से (डॉ.) रमेश चंद्र तोमर ने उनके व्यक्तित्व को आध्यात्मिकता और राष्ट्रभक्ति से जोड़कर दिखाने का सफल प्रयास किया है। पुस्तक में नरेंद्र मोदी की तुलना स्वामी विवेकानंद के विचारों से करते हुए, यह दर्शाया गया है कि उनके निर्णयों में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्रीय हित का समन्वय है।
डॉ. तोमर ने नरेंद्र मोदी के राजनीतिक और राष्ट्रीय योगदान का भी विस्तृत चित्रण प्रस्तुत करते हुए उनके कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों को तथ्यपूर्ण और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया है। राम मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा होना, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना, वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा का बढ़ना, महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल और कोरोना महामारी के समय उनका नेतृत्व जैसी अनेकों महत्वपूर्ण घटनाएँ इस पुस्तक में विस्तार से दर्ज हैं। अपने लेखन के जरिए लेखक बताते हैं कि मोदी जी के निर्णयों में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना सदैव प्रमुख रही है। उदाहरण के लिए कोरोना महामारी के संदर्भ में लेखक ने उन्हें ऐसे “देवदूत” की उपमा देकर संबोधित किया है, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी राष्ट्र को अदम्य साहस और स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया। इसी प्रकार विदेश नीति के क्षेत्र में भारत की आवाज को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाने के लिए मोदी के प्रयासों का भी विशेष उल्लेख किया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के घटनाक्रम को चित्रित करते हुए कल्पना से परे अध्याय के साथ, नया भारत : दुश्मन पर करारा प्रहार , नया कश्मीर, कलियुग में राम के हनुमान मोदी, खुद से प्रतिस्पर्धा, मोदी: विकास का सूर्योदय और संपूर्ण विश्व में मान जैसे शीर्षकों से सजे पुस्तक के सभी अध्याय नरेंद्र मोदी के जीवन के विभिन्न सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करते हैं।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद रह चुके प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र तोमर एक ऐसे शिक्षाविद और लेखक हैं जो राजनीति, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते आए हैं। उनकी इस पुस्तक की भाषा बेहद सरल, सहज और प्रवाहमयी होने के साथ-साथ बहुत प्रभावशाली भी है। इसलिए पाठकों के यह आसानी से तो समझ में आएगी, साथ ही उन्हें पढ़ने में भी आनंद आएगा। डॉ. तोमर ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और साहित्यिक संवेदनशीलता का शानदार सामंजस्य प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमा मंडन करती है और ना ही शुष्क राजनीतिक विवरण प्रस्तुत करती है। बल्कि यह पुस्तक एक पुत्र और एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक दृष्टि और भावनात्मक अभिव्यक्ति का सटीक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
‘भारत वर्ष की स्वर्णाभा: नरेंद्र मोदी’ केवल प्रधानमंत्री मोदी की जीवनी नहीं है, बल्कि उनके जीवन-दर्शन और राष्ट्र-निर्माण की यात्रा का दस्तावेज है। डॉ. रमेश चंद्र तोमर ने अपने अनुभव, अध्ययन और लेखन कौशल का शानदार परिचय इस पुस्तक के माध्यम से दिया है। यह पुस्तक राजनीति के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के साथ-साथ उन सभी पाठकों के लिए भी उपयोगी है जो नेतृत्व, राष्ट्रभक्ति और जीवन-दर्शन के प्रेरक उदाहरणों को समझना चाहते हैं। संक्षेप में कहें तो यह पुस्तक एक कर्मयोगी, राष्ट्रनायक और युगपुरुष के रूप में नरेंद्र मोदी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है।
पुस्तक: भारत वर्ष की स्वर्णाभा: नरेंद्र मोदी
लेखक: प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र तोमर
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
