
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ऐतिहासिक आईपीएल जीत के बाद आयोजित विजय परेड अब जांच के घेरे में आ गई है. कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, इस परेड में 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक के घायल होने की वजह प्रशासनिक चूक और आयोजकों की लापरवाही थी. अदालत को दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, आरसीबी ने परेड के लिए जरूरी पुलिस अनुमति नहीं ली थी.
हालांकि राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को गोपनीय रखने की गुजारिश की थी, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ऐसे सार्वजनिक महत्व के मामले में पारदर्शिता ही सर्वोपरि है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गोपनीयता का कोई कानूनी आधार नहीं है, विशेष रूप से तब जब घटना में जान-माल की बड़ी हानि हुई हो.
पुलिस को केवल दे गई थी सूचना
राज्य सरकार की रिपोर्ट में बताया गया कि RCB ने 3 जून को परेड की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन कोई औपचारिक अनुमति नहीं मांगी थी. कानून के मुताबिक, ऐसे सार्वजनिक आयोजनों के लिए कम से कम सात दिन पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होता है. रेड के आयोजन में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिससे हालात नियंत्रण से बाहर हो गए.
सोशल मीडिया से बुलाई भीड़ बनी हादसे की वजह
सरकारी रिपोर्ट में RCB के आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट्स का उल्लेख किया गया है, जिनमें बिना किसी प्रशासनिक सहमति के जनता को खुला निमंत्रण दिया गया. 4 जून को सुबह 7:01 बजे से शुरू हुए इन पोस्ट्स में फ्री एंट्री और विराट कोहली का वीडियो लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रयोग में लाया गया. इसी दिन दोपहर 3:14 बजे अंतिम पोस्ट में शाम 5 बजे परेड शुरू होने की घोषणा की गई.
भीड़ नियंत्रण में नाकामी
इन पोस्ट्स के चलते हजारों की संख्या में लोग विधान सौध से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक की परेड के लिए इकट्ठा हो गए, जबकि शहर प्रशासन और पुलिस को न इसकी तैयारी थी, न अनुमान. भीड़ अचानक इतनी बढ़ी कि भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई. सुरक्षा बलों की कम तैनाती और आपात प्रबंधन में देरी ने त्रासदी को और भयावह बना दिया.
जीत की चमक में दबी जवाबदेही की आवाज़
तीन जून को RCB ने नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पंजाब किंग्स को हराकर अपना पहला खिताब जीता था. यह जीत प्रशंसकों और खिलाड़ियों दोनों के लिए एक भावनात्मक पल थी, लेकिन जल्दबाज़ी में की गई विजय परेड की घोषणा और अव्यवस्थित आयोजन ने इस जश्न को दुखद मोड़ दे दिया. यह मामला अब आयोजन में जवाबदेही, प्रशासनिक भूमिका और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी पर गहरे सवाल उठा रहा है.