राष्ट्रपति रईसी की मौत से चाबहार डील पर क्या पड़ेगा असर?

भारत पूरे घटनाक्रम को बारीकी से देख रहा

नई दिल्ली । ईरान अपने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद गम में डूबा हुआ है। इस बीच पूरी दुनिया की नजर ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत के बाद पड़ने वाले परिणामों पर बनी हुई है। ईरान और भारत के साथ गहरे संबंधों को देखकर नई दिल्ली भी घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

ये हादसा उस समय में हुआ है, जब पश्चिम एशिया गहरे संघर्ष में उलझा हुआ है। पिछले सात महीनों से इजरायल ने गाजा में युद्ध छेड़ रखा है। वहीं, लेबनान में मौजूद ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और लगातार रॉकेट से हमले कर रहा है। पिछले महीने इजरायल और ईरान का तनाव सीधे जंग में बदल गई जब तेहरान ने इजरायल के ऊपर किलर ड्रोन और रॉकेट की बौछार कर दी। इनमें से ज्यादातर को इजरायल के एरियल डिफेंस सिस्टम ने रोक दिया।

इस बीच भारत में लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रईसी की मौत पर कहा कि वे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन से दुखी और स्तब्ध हैं। उन्होंने लिखा, भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है। रईसी की मौत भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के संचालन को लेकर हुई ऐतिहासिक डील के बाद हुई है। इस डील के बाद भारत को चाबहार के संचालन का अधिकार अगले 10 सालों के लिए भारत को मिल गया है, जो भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार के लिए पहुंच देगा। इस डील के बाद अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री ने दो टूक जवाब दिया था। जयशंकर ने कहा था कि यह बंदरगाह पूरे क्षेत्र को लाभान्वित करेगा और अमेरिका को इस मामले में संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए।

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