
नाटो के नवनियुक्त महासचिव मार्क रूट ने रूस के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने वाले देशों भारत, चीन और ब्राजील को कड़ी चेतावनी दी है. बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में रूट ने कहा कि अगर ये देश रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं, तो उन्हें गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने विशेष रूप से कहा कि यदि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेते, तो वे इन देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लागू करने के लिए तैयार हैं.
चेतावनी को गंभीरता से लेने की नसीहत
रूट ने साफ किया कि भारत के प्रधानमंत्री, चीन के राष्ट्रपति और ब्राजील के राष्ट्रपति को पुतिन से बातचीत कर शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का दबाव बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आप बीजिंग, दिल्ली या ब्रासीलिया में हैं, तो आपको इस चेतावनी को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इसके असर सीधे आपकी अर्थव्यवस्था पर होंगे.
यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया घोषणाओं के तुरंत बाद आया है. ट्रंप ने रूस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है और यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल सिस्टम सहित आधुनिक सैन्य सहायता भेजने की योजना बनाई है. इसके साथ ही, उन्होंने 50 दिनों के भीतर यूक्रेन-रूस के बीच शांति समझौता न होने की स्थिति में रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही है.
कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं भारत, चीन और तुर्की
ट्रंप ने यह भी कहा कि वे बिना अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी के भी द्वितीयक टैरिफ लगा सकते हैं. इसके लिए अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक का भारी समर्थन मिला है, जो राष्ट्रपति को रूस के सहयोगी देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की अनुमति देगा. भारत, चीन और तुर्की वर्तमान में रूस के सबसे बड़े कच्चे तेल खरीदार हैं. यदि अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो इन देशों को ऊर्जा आपूर्ति में बाधा, कीमतों में उछाल और आर्थिक अस्थिरता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
इस चेतावनी के जवाब में रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि मास्को बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी प्रकार के अल्टीमेटम को स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे दबाव से कोई रचनात्मक परिणाम नहीं निकल सकता.