लक्ष्मण के साथ उनकी पत्नी क्यों नहीं गईं वनवास

दोस्तों जहां एक ओर रामायण में प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी और राम भक्त हुनमान के अनेक किस्से सुनने को मिलता है.. तो वहीं इस रामायण में कुछ ऐसे लोग भी है जिनके बारे में बहुत कम सुनने को मिलता है… इनमें से एक नाम है उर्मिला… जो माता सीता की छोटी बहन और लक्ष्मण जी की धर्म पत्नी थी…

उर्मिला के बारे में कई लोग ये सवाल उठाते है कि जब श्रीराम और देवी सीता के साथ लक्ष्मण भी वनवास चले गये थे.. तो फिर वो अपने पति के साथ वनवास क्यों नहीं गयी… तो इस बात का जवाब आज हम देंगे आपको… 

दरअसल, जब राम जी को वनवास मिला तो पत्नी धर्म निभाने के लिए सीता भी उनके साथ जाने को तैयार हो गयी… जब ये बात लक्ष्मणजी को पता चल तो बड़े भाई कि सेवा के लिए उन्होंने भी वन जाने का निश्चय किया… इसके बाद जब ये बात उर्मिला तक पहुंची तो उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा कि वो उन्हें भी अपने साथ ले चले.. ताकि वो भी अपना पत्नी धर्म निभाना सकें.. लेकिन तभी लक्ष्मण ने उन्हें मना कर दिया… और उनसे कहा.. प्रिये तुम्हें यही महल में रहना होगा क्यों कि यहां रहकर तुम अपने पत्नी धर्म के साथ बहु का धर्म भी निभा पाओगी… भईया के वनवास जाने की खबर ने पिताजी और माताओं को बहुत दुखी कर दिया है… तुम्हें यहां रहकर माता- पिता को संभालना है… अगर तुम यहां रहकर इनका ख्याल रखोगी.. तो मैं बिना किसी चिंता के वन में भईया- भाभी की सेवा कर पाऊंगा… ये समय हमारे परिवार के लिए बहुत मुश्किल है… ऐसे समय में मुझे तुम्हारे साथ की जरुरत है।

अपने पति लक्ष्मण की आज्ञा का पालन करने के लिए उर्मिला उनके साथ नहीं गयी… वहीं जानकारों की माने तो लक्ष्मण जी उर्मिला को इसलिए भी साथ नहीं ले गये थे क्यों कि वन में उनका सारा समय भईया- भाभी की सेवा में जाता.. ऐसे में वो उर्मिला को उचित समय न दे पाते.. इसलिए सभी की भलाई को देखते हुए वो उन्होंने उर्मिला को अपने साथ वन ले जाने से मना कर दिया।

लेकिन महल में रहकर भी उर्मिला ने जिस तरह से अपना पत्नी धर्म निभाया उसे जानकर आप चौंक जायेंगे… क्यों कि उर्मिला के त्याग और पति प्रेम की ये कथा आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी… 

पौराणिक कथाओं की माने तो जब तक लक्ष्मण वन में रहे तब तक उर्मिला महल में सोती रही… यानी की 14 साल तक अपने पति का साथ देने के लिए उर्मिला सोती रही.. लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान हो जायेंगे…

दरअसल, वनवास के पहले दिन श्रीराम और सीता तो सो गये.. लेकिन उनकी सेवा और रक्षा के लिए लक्ष्मण जी रातभर जागते रहे… ये देखकर नींद की देवी लक्ष्मण जी से मिलने गयी.. और उन्हें बताया कि वो जो कर रहें हैं.. वो प्रकृति के नियम के विरोद्ध है.. इस पर लक्ष्मण जी ने उन्हें समझाया और कहा की वो चौदह साल तक के लिए उन्हें अकेला छोड़ दें.. यानि की चौदह साल तक उन्हें नींद न आये.. ताकि वो अपने भईया-भाभी की सेवा कर पायें।

इस पर निद्रा देवी ने उन्हें बताया कि ऐसा नहीं हो सकता है.. ऐसा करना सृष्टि के नियम से खिलवाड़ करने जैसा होगा.. लेकिन लक्ष्मण जी की सेवा भक्ति देखकर उन्होंने उनकी ये बात मान ली.. और उनसे कहा मैं चौदह वर्षों तक आप के पास नहीं आऊंगी.. लेकिन आप के हिस्से की नींद का भार किसी को उठाना पड़ेगा।

इस पर लक्ष्मण जी ने कहा अयोध्या में मेरी पत्नी उर्मिला रहती है.. आप उसे जाकर ये बात बतायें.. नींद की देवी ने ये सारी घटना उर्मिला को बताई.. तब उर्मिला ने उनसे कहा.. अपने पति की नींद का भार मैं उठाओंगी… जब तक वो वनवास में रहेंगे तब तक उनके हिस्से की नींद आप मुझे दे दीजिए.. मैं अपना पत्नी धर्म निभाउंगी… जिससे मेरे पति अपने छोटे भाई होने का धर्म अच्छे से निभा सकें। 

इसलिए उर्मिला चौदह साल तक सोती रहीं.. आपको बता दें उनके इसी तप के कारण लक्ष्मण जी मेघनाथ का वध कर पायें थे.. क्यों कि मेघनाथ को केवल वहीं मार सकता था, जो चौदह वर्षों से सोया न हो।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें