
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्लैक फंगस के इलाज में यूज होने वाले एंफोरटेरेसिन-बी इंजेक्शन का संकट बरकरार है। मरीजों के परिजन अस्पताल से लेकर प्रशासनिक अफसरों तक के चक्कर काट रहे हैं। अस्पताल से डॉक्टर्स 14 दिन का इंजेक्शन लिखकर दे रहे हैं और जिला प्रशासन की तरफ से केवल तीन दिन का इंजेक्शन दिया जा रहा है। उसके लिए भी एक मरीज को इंजेक्शन के लिए 5 से 6 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा।
4 दिन में 20 लोगों को भी नहीं मिल पाया इंजेक्शन
फैजाबाद के रहने वाले विश्राम (40) अपोलोमेडिक्स में भर्ती हैं। परिवार वालों से डॉक्टर ने 14 दिन का इंजेक्शन ले आने को कहा। परिवार वाले कमिश्नर कार्यालय गए तो वहां 14 दिन की डोज को तीन दिन कर दिया गया। उसके बाद वह पिछले चार दिन से रेड क्रांस सोसायटी का चक्कर लगा रहें है। इसमें उनको बताया जा रहा है इंजेक्शन नहीं आया है। वहां पिछले चार दिन में 20 लोगों को भी इंजेक्शन नहीं बंट पाया है। तीन दिन के डोज के जगह पर एक दिन का डोज छह इंजेक्शन दिया जा रहा है।
लखनऊ और आस-पास मरीजों की संख्या 300 के पार
लखनऊ , कानपुर और आस-पास के जिलों को मिलाकर ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या 300 के पार पहुंच गई है। इस हिसाब से यहां के लिए लिए दो हजार से ज्यादा इंजेक्शन चाहिए। कई मरीजों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। हालात यह है कि डॉक्टर 10 से 14 दिन की डिमांड कर रहे हैं। तीमारदार लेटर लेकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचते हैं तो उन्हें 3 दिन का इंजेक्शन देने का अनुमति पत्र थमा दिया जाता है। इस पत्र को लेकर परिवार वाले रेड क्रॉस सोसाइटी पहुंचते हैं तो उन्हें इंजेक्शन की जगह पर कई दिनों तक सिर्फ आश्वासन मिल रहा है।
समीक्षा बैठक में झूठ बोले रहे अफसर?
ब्लैक फंगस के इंजेक्शन को लेकर प्रतिदिन होने वाली समीक्षा बैठक में अफसरों दावा करते हैं कि इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन हकीकत एकदम अलग है। मरीज अस्पताल में और परिवार के लोग इंजेक्शन के लिए कमिश्नर कार्यालय से लेकर रेड क्रांस सोसायटी के दफ्तर पर तड़प रहे है। कई लोग तो रोने लगते है। लेकिन उनको इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। लखनऊ में पिछले पांच दिन में महज 140 इंजेक्शन बांटे गए है। इसमें पिछले तीन दिन में प्रतिदिन 25 इंजेक्शन मिल रहा है, जिससे चार से पांच लोगों को पांच या छह इंजेक्शन दिया जाता है। इंजेक्शन के अभाव में मरीजों के ठीक होने का औसत बहुत धीमा है। प्रदेश में करीब 700 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीज मिल चुके हैं। वहीं 35 की मौत हो चुकी है।
कानपुर से लखनऊ तक लगा रहे दौड़
मरीज शैलेश गुप्ता (50) न्यू जीटी नर्सिंग होम कानपुर में भर्ती हैं। उन्हें डॉक्टर राजीव ने 10 दिन का इंजेक्शन ले आने का आदेश दिया है। उनके परिवार के राजेश कुमार ने मंडलायुक्त से चार दिन पहले आदेश ले लिया था। उसमें भी करीब डेढ़ दिन बर्बाद हुए। वह अब लखनऊ में ही इंजेक्शन के लिए रूक गए हैं। दिन में तीन से चार बार से आदेश कॉपी लेकर रेड क्रांस सोसाइटी पहुंचते हैं लेकिन शाम को खाली हाथ लौट जाते हैं। ऐसे ही रिटायर्ड रेलकर्मी जोगिंदर सर्जरी हो चुकी है वह खुर्रम नगर के एक अस्पताल में भर्ती। उन्हें भी 14दिन के बजाय कमिश्नर कार्यालय से 3 दिन का लेटर दिया गया। इसके बाद भी एक भी इंजेक्शन नहीं मिला।
बिना जांच के जारी कर दिया 80 से ज्यादा पत्र
कमिश्नर कार्यालय से भी कोई जांच नहीं हो रही है। यह जाने बिना ही कि इंजेक्शन नहीं लगातार वहां से पत्र जारी होता है। रेड क्रांस सोसायटी के जितेन्द्र सिह चौहान और अरविंद पाठक कहते है कि इससे उन लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। लोग फोन करते है , उनको मना करना ठीक नहीं लगता है। कई लोग फोन पर रोने लगते है। ऐसे में उन लोगों के लिए स्थिति को संभालना और मुश्किल भरा हो जाता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर कहते है कि इंजेक्शन बनाने वाली कंपनियों से सप्लाई कम मिल रही है। सरकारी अस्पतालों में कुछ इंजेक्शन भेजे गए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों के वितरण की जिम्मेदारी रेडक्रास सोसाइटी को सौंपी गई है। हालांकि यह दावा भी गलत है क्योंकि कई पत्र सरकारी अस्पतालों से जारी किए गए हैं।