वक्फ के ‘लैंड जिहाद’ में फंसता जा रहा देश, ये रिपोर्ट उड़ा देगी आपके होश 

संसद में वक्फ संशोधन बिल पेश किए जाने को लेकर देश भर में हलचल है। मुस्लिम संगठन से लेकर मुस्लिम नेता तक इसका विरोध कर रहे हैं। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद से लेकर AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी तक इसको लेकर लोगों में गलतफहमी फैला रहे हैं। वे दुष्प्रचार कर हैं कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार मुस्लिमों की संपत्तियाँ और उनके मस्जिदों को छीन ले लेगी।

हालाँकि, वे ये नहीं बता रहे हैं कि वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों ने उसे किस तरह मनमानी करने किए उकसाया है। वह किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर दे रहा है। तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार में तो वह गाँव के गाँव को ही अपनी संपत्ति बता रहा है और वहाँ रहने वाले लोगों को खाली करने का नोटिस दे रहा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में हालात हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार संपत्तियों से लेकर सड़क, नाले, बाजार, आबादी वाले इलाकों और कॉलेज तक को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई। 

पिछले आलेख में हमने बताया था कि उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड किन-किन जिलों में कितनी संपत्तियों पर दावा कर रहा है। प्रदेश की जिन सार्वजनिक संपत्तियों पर यूपी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोका, उनमें लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, बेगम हजरत महल पार्क, शिव मंदिर, ऐशबाग ईदगाह, टीले वाली मस्जिद, राजभवन, बरनारस का यूपी कॉलेज, काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का शाही ईदगाह, आगरा का ताजमहल, आगरा का किला, फतेहपुर सीकरी का किला, सँभल का जामा मस्जिद, रामपुर का इमामबाड़ा किला-ए-मुअल्ला, रामपुर का काशबाग इमामबाड़ा, फैजाबाद का बहू बेगम का मकबरा, जौनपुर का अटाला मस्जिद, अयोध्या की अनेक संपत्तियाँ आदि प्रमुख नाम हैं।

उत्तर प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई जिला है, जहाँ की संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा नहीं ठोका हो। उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड ने कुल 57,792 सरकारी संपत्तियों पर दावा किया है। इन संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 28,912 एकड़ है। वहीं, वक्फ द्वारा किया गया कुल दावा 14,000 हेक्टेयर यानी 34,595 एकड़ है। यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2,10,239 संपत्तियों और शिया वक्फ बोर्ड ने 15,386 संपत्तियों पर दावा ठोका है।

वाराणसी के 115 साल पुराने यूपी कॉलेज पर वक्फ का दावा

यूपी वक्फ बोर्ड की खुराफात का सबसे बड़ा उदाहरण उसका हालिया दावा है। इसमें उसने बनारस के लगभग 120 साल पुराने उदय प्रताप सिंह कॉलेज पर अपना दावा ठोक दिया। कॉलेज के पास 100 एकड़ से अधिक की जमीन है। दरअसल, दिसंबर 2018 में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ अधिनियम 1995 के तहत उदय प्रताप कॉलेज प्रशासन को जमीन खाली करने का नोटिस भेजा था। इसमें बताया गया था कि भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले वसीम अहमद खान ने एक रजिस्ट्री पत्र भेजकर बताया है कि उदय प्रताप कॉलेज टोंक के नवाब की संपत्ति है। नवाब ने कॉलेज परिसर में स्थित एक अवैध मस्जिद को यह जमीन वक्फ कर दी थी। इसलिए वक्फ अधिनियम के तहत ये सारी संपत्ति वक्फ की है।

नोटिस के जरिए वक्फ बोर्ड ने कॉलेज प्रशासन को धमकाते हुए कहा था कि अगर कॉलेज प्रशासन नोटिस मिलने के 15 दिन के अंदर जवाब नहीं देता है तो बाद में उसकी कोई भी आपत्ति सुनी नहीं जाएगी। तब वसीम अहमद खान के बेटे तनवीर अहमद खान ने कहा था कि सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों ने टोंक के नवाब को यहीं पर नजरबंद किया था। इसके बाद नवाब के लोग यहीं आकर बस गए थे। उस वक्त नवाब ने अपने लोगों के लिए यहाँ बड़ी मस्जिद और छोटी मस्जिद का निर्माण कराया था। तनवीर का कहना था कि छोटी मस्जिद यूपी कॉलेज परिसर में ही है।

उधर, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ द्वारा भेजे गए नोटिस का यूपी कॉलेज के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने तय समय सीमा में वक्फ बोर्ड को जवाब भेज दिया था। अपने जवाब में उन्होंने कहा था कि साल 1909 में चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के तहत उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना हुई थी। इसलिए इस एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर दूसरे किसी का मालिकाना हक नहीं बनता है।

यह मामला तब सामने आया, जब यूपी कॉलेज परिसर में स्थित मस्जिद का निर्माण और उसका विस्तार किया जा रहा था। इसको देखते हुए लोगों ने सवाल उठाया तो यह मामला खुला। तब जाँच में यह बात भी सामने आई कि यूपी कॉलेज में से ही मस्जिद अवैध रूप से बिजली का कनेक्शन ले रखा था। इसके लिए वह किसी तरह का भुगतान भी नहीं करता था। जब बवाल मचा तो योगी सरकार के आदेश पर कॉलेज प्रशासन ने मस्जिद की अवैध बिजली का कनेक्शन काट दिया।

अपनी किरकिरी होता देख वक्फ बोर्ड ने इस पर से अपना दावा वापस ले लिया। परिसर में स्थित मस्जिद में लोग बाहर से भी नमाज पढ़ने के लिए भी आते हैं। इनकी संख्या 400 तक पहुँच जाती थी। वहीं, मजार के पास एक व्यक्ति हमेशा रहता है। परिसर में मस्जिद और मजार का निर्माण समाजवादी पार्टी की शह पर किया गया था। अब इसमें नमाज को बंद कर दिया गया है।

जिस यूपी कॉलेज पर यूपी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोका था, उसका करीब 500 एकड़ में फैला हुआ है। इसके द्वारा प्रदेश में डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, रानी मुरार बालिका स्कूल, राजर्षि शिशु विहार, राजर्षि पब्लिक स्कूल संचालित किया जाता है। इन सबमें करीब 20,000 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना लगभग 115 साल पहले सन 1909 में भिनगा (बहराइच, उत्तर प्रदेश) के राजा उदय प्रताप सिंह जूदेव ने की थी।

सन 1886 में संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे राजा उदय प्रताप सिंह जूदेव ने 25 नवम्बर 1909 को वाराणसी में ‘हेवेट क्षत्रिय हाई स्कूल’ की स्थापना की थी। आगे चलकर यही क्षत्रिय स्कूल उदय प्रताप सिंह स्वायत्त महाविद्यालय बन गया। राजा साहब ने सन 1909 में ही ‘उदय प्रताप कॉलेज एंड हेवेट क्षत्रिय स्कूल इंडाउमेंट ट्रस्टट का गठन किया था, जिसके तहत यह कॉलेज संचालित है।

लखनऊ के 250 साल पुराने शिव मंदिर पर दावा

इसी तरह, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सैकड़ों संपत्तियों पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया है। जिन संपत्तियों पर वक्फ ने अपना दावा ठोका है, उनमें से एक लखनऊ का 250 साल से अधिक पुराना एक शिव मंदिर है। बता दें कि इससे पहले दिल्ली के 6 मंदिरों पर भी वक्फ बोर्ड अपना मालिकाना हक होने का दावा कर चुका है। लखनऊ के जिस मंदिर पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोका है, वह सदातगंज में स्थित है। इसे लाल शिवालय कुबड़े बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर 250 साल पुराना है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि करीब 9 साल पहले यानी साल 2016 में वक्फ बोर्ड ने अपने कागजों में इस मंदिर को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, साल 2016 में इस मंदिर के आसपास की जमीन को मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा अंसारी नाम की मुस्लिम महिला को भी बेच दिया गया। उसने यहाँ प्लॉटिंग शुरू कर दी। फिलहाल यह मामला कोर्ट में है।

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