विधानसभा चुनाव 2022 : अब एक्सप्रेस वे से जुड़ा मिथक तोड़ने की बारी


-योगी के खाते में दर्ज हो रहे है एक के बाद एक्सप्रेसवे
-अखिलेश के कार्यकाल में बनकर तैयार हुआ था आगरा एक्सप्रेस वे
-यमुना एक्सप्रेस वे था मायावती सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट


-योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक दलों में एक्सप्रेस वे को लेकर सियासत गर्म है। अभी तक यूपी में जितने भी एक्सप्रेस बने है या निर्माणाधीन है उनको लेकर पूर्ववर्ती सपा-बसपा सरकारों के साथ श्रेय लेने की होड़ देखते बन रही है। हाल ही में जिसपूर्वाचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन हुआ उसको लेकर सत्तारूढ़ और भाजपा में केडिट लेने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इन सबसे इतर एक्सप्रेस वे को लेकर किवंदिती जुड़ी है कि जो भी सीएम एक्सप्रेस वे का फीता काटता उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस तरह के सारे मिथके को तोड़ते आए है। लिहाजा अब उनके जिम्मे इस मिथक को भी तोडऩे की जिम्मेदारी है। प्रदेश में यह धारणा आम है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वह ज्यादा दिनों तक सीएम नहीं रह पाता। ऐसा हुआ भी।

 जिसके चलते पूर्वमुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई मौकों पर विभिन्न शिलान्यास और उद्घाटन लखनऊ में सीएम आवास पर या फिर दिल्ली में जाकर किए। लेकिन वे नोएडा नहीं गए। हालांकि इस मिथक को पूर्व सीएम मायावती ने तोड़ा था वे अपने कार्यकाल में कई मौक ो पर नोएडा गयी और उसके बाद उन्होंने अपना कार्यकाल भी पूरा किया। राजनीतिक जानकारों की माने तो अभी तक अनुभव तो यही बताता है कि एक्सप्रेसवे किसी कीमत पर जीत की गांरटी नहीं हो सकता। अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमत्रित्व काल में आगरा एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया था तो वे 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो गये जबकि इससे पूर्व जब मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में जब यमुना एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया तो वे २०१२ में सत्ता से बेदखल हो गयी। आगरा और यमुनाएक्सप्रेस वे के बाद अब यूपी में सबसे लंबा पूर्वाचल एक्सप्रेस बनकर तैयार हुआ है जिसका उद्घाटन पिछले दिनो पीएम नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में हुआ।

 
इस बार उद्घाटन का फीता पीएम मोदी ने काटा जबकि इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मौजूद थी। मात्र छत्तीसमहीनें में बनकर तैयार हुए इस एक्सप्रेस वे गुणवत्तापूर्ण और तय समयसीमा बनकर तैयार होने का क्रेडिट योगी सरकार को द्वारा दिया जा रहा है। अभी तक यूपी में जितने भी एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हुए है उनमें सबसे लंबा पूर्वाचल एक्सप्रेस वे ही है। 2250 करोड़ का 341 किलोमीटर सिक्स लेन बनवाकर भाजपा इसे पूर्वांचल के विकास का रास्ता बताकर चुनावी गणित चाहे साध रही है।इस एक्सप्रेस वे जरिए सत्तारूढ़ भाजपा पूर्वी यूपी से सत्ता के गलियारे में प्रवेश की तैयारी कर चुकी है। लखनऊ के चांदपुर सराय से गाजीपुर के हैदरिया तक एक्सप्रेसवे के रास्ते मे भले ही 9 जिले पड़ते हों। लेकिन इससे जोड़कर न केवल 15 जिलों बल्कि बिहार और बंगाल के विकास का रास्ता खुलने का भी दावा किया जा रहा है। इससे पूर्व बसपा के कार्यकाल में मायावती ने जेवर से आगरा तक 2007 मे 1200 करोड़ की लागत से यमुना एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारी शुरू हुई थी। 165 किलोमीटर लंबे इस मार्ग के निर्माण को लेकर ऐसा विरोध हुआ था कि टप्पल व भ_ा परसौल में उपद्रव भी हुआ। यह एक्सप्रेसवे पांच साल में यह बनकर तैयार हुआ था।

अखिलेश यादव की सरकार में बनकर तैयार हुए आगरा एक्सप्रेस की गुणवत्ता परखने के लिए उस समय उस पर युद्धक विमान भी उतारे गए थे। अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाने वाला 301 किलोमीटर का आगरा एक्सप्रेस वे 23 महीने के रिकॉर्ड समय मे बनकर तैयार हुआ था। अत्याधुनिक सिक्स लेन बनाने के बाद भी अखिलेश सपा की गाड़ी राजधानी तक नही ले सके थे अगले चुनाव में ही सत्ता के लिए जीत से दूर चली गयी।

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