नई दिल्ली। बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार विपक्ष के सुझाव और अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमें अर्थव्यवस्था को वैश्विक संदर्भ में देखना चाहिए और विचार करना चाहिए कि भारत इसका फायदा कैसे उठा सकता है। वहीं दूसरी और विपक्ष के तमाम दलों ने आज से शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), एनपीआर, एनआरसी, अर्थव्यवस्था की स्थिति, कश्मीर की स्थिति सहित कई अन्य मुद्दे भी बैठक में उठाये।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उच्च सदन राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने सरकार से ‘बजट-सत्र’ का समय बढ़ाने की मांग की है। देखा गया है कि पिछले कुछ समय से बज़ट सत्र की समय सीमा लगातार कम होती जा रही है। शुरू में यह सत्र तीन महीने का होता था, लेकिन बाद में इस सरकार ने इसका समय कम कर दिया गया। हमने इसे कम से कम एक महीना बढ़ाने की मांग की है।
उन्होंने आगे कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर सरकार की चुप्पी सरकार के अहम की दर्शाती है। पिछले एक महीने से अधिक से देश की आधी से अधिक जनता सड़कों पर है। छात्र, औरतें, बच्चे और बूढ़े इस भयंकर सर्दी में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें समझाने की कोई कोशिश नहीं की गई, और न ही कानून पर फिर से कोई विचार करने की बात की गई। ऐसा लगता है कि जैसे सरकार के कान पर जूं नही रेंग रही है।
संसद की इस सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, थावर चंद गहलोत, अर्जुन मेघवाल, वी मुरलीधरन, बीजू जनतादल के प्रसन्ना आचार्य, एनसीपी की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, राष्ट्रीय नेशनल कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, जनता दल (यू) से मनोज झा, एलजेपी से रामविलास पासवान और चिराग पासवान, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन और बसपा से रितेश पाठक आदि मौजूद रहे।
गिरती अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार देशहित में जितने भी बिल लेकर आई है, हमने उसका समर्थन किया है। जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। कश्मीर में सरकार ने जो कुछ किया है, वो एक अनाड़ी डॉक्टर की तरह है। उन्होंने ऑपरेशन तो कर दिया, लेकिन उन्हें सिलना नहीं आ रहा। कश्मीर में अब भी नेताओं को बंद रखा गया है। सभी नेताओं को रिहा करना चाहिए।