व्रत के दौरान अगर आ जाए पीरियड्स, तो करें सिर्फ ये काम, मिलेगा पूरा फल

सनातन धर्म में मानव जीवन के कल्याण के लिए अनेक व्रत-विधान बताए गए हैं। इनमें अनेक व्रत स्त्रियों के लिए नियत है। उन व्रतों के पालन के लिए धार्मिक नियम-संयम और पवित्र आचरण का महत्व बताया गया है। किंतु प्राकृतिक रुप से स्त्रियों के लिए कुछ स्थितियों ऐसी आती है। जिनके कारण व्रत पालन की निरंतरता में बाधा आती है। इनमें से एक कारण है – स्त्री का रजस्वला होना यानि मासिक चक्र।मासिक या किसी विशेष व्रत के संकल्प के दौरान मासिक चक्र आने पर व्रत को लेकर हर स्त्री के मन में शंका, संशय और व्रत भंग होने के कारण धर्म दोष की पीड़ा रहती है।

भारत जैसे देश में लोग पीरियड्स के बारे में खुलेआम बात नहीं करते हैं.महिलाओं पर इस दौरान कई तरह के प्रतिबंध होते हैं| कई राज्यों में महिलाओं को इस दौरान अलग कमरे में रखा जाता है. यहां तक कि ठंड के दौरान पीरियड्स के दिनों में उन्हें गौशाला तक में सुलाया जाता है. इस दौरान किसी भी तरह के पूजा पाठ की गतिविधियों में उनका भाग लेना वर्जित होता है| वैसे तो आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन आज भी हम पुराने रीति-रिवाज़ों का पूरा निष्‍ठा से पालन करते हैं।हमारे विचार सदियों बाद भी हमारे समाज के अनुरूप हैं। हम आज भी ऐसे कई अंधविश्‍वासों को मानते हैं जिनके कारण स्‍त्री को बहुत कष्‍टों का सामना करना पड़ता है।

प्राचीन कथा के अनुसार मह‌िलाओं के लिए मासिक धर्म का नियम भगवान शिव ने देवी पार्वती के कहने पर बनाया था। साथ ही कुछ नियम भी निर्धारित किए थे, जिनका अनुसरण वो उन दिनों के दौरान कर सकें। मनुस्मृत‌ि और भव‌िष्य पुराण में भी इन नियमों का उल्लेख मिलता है। मासिक धर्म के चौथे दिन महिलाएं स्नान के बाद शुद्ध होती हैं।इसके अलावा यदि किसी महिला को व्रत  के दौरान ही पीरियड आ जाये तो इसके लिए क्या किया जाये कैसे पूजा पूरी की जाये |

आज हम आपको इसी बारे में कुछ जानकारी देने जा रहे है |कई बार ऐसा हो जाता है की हम उपवास या किसी धार्मिक पर्व के दौरान ही महिलाओं को पीरियड आ जाता है तो ऐसे में ये जरूरी नहीं की वो अपना उपवास तोड़ दे सिर्फ इसीलिए की वे अपवित्र हो गयी है बल्कि इसके लिए भी कुछ नियम बनाये गये है जिनका पालन करके महिलाएं पीरियड के दौरान भी अपना पूजा पाठ सम्पन्न कर सकती है |इसके लिए आप अपने उपवास के दैरान सब कुछ  सामान्य तरीके से ही कीजिये केवल इस चीज का ध्यान रखें की पूजा पाठ से दूरी बनाकर रखें और मन से और आस्था के साथ अपने इश्वर की भक्ति करें|

ऐसा करने से आपको आपके उपवास का पूरा फल प्राप्त होगा क्योंकि हम सभी ईश्‍वर की रचना हैं और जो भी हमारे शरीर के अंदर बदलाव होत हैं वो सब भगवान की ही देन हैं। महिलाओं की माहवारी भी प्रकृति की देन है। अगर महिला के अंदर यह क्रिया नहीं होती तो शायद वह कभी मां नहीं बन पाती है। किसी स्‍त्री का मां बनना उसके मासिक धर्म से ही जुड़ा होता है। अब आप ही बताइए जो चीज़ खुद भगवान ने हमें दी है उसी से हम कैसे अपवित्र हो जाते हैं और ईश्‍वर की आराधना नहीं कर सकते हैं।