जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भारत में हर तीज त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं। चाहे आप दिवाली की बात कर लीजिए या फिर राखी की। इसी प्रकार से हर त्यौहार पर एक दूसरे को शगुन के रूप में पैसे देने का भी रिवाज है। किसी शादी समारोह या अन्य शुभ मौकों पर आपने लोगों को शगुन के लिफाफे में एक रुपए का एक्स्ट्रा सिक्का देते हुए देखा होगा।
लेकिन क्या आप लोगों को यह मालूम है कि आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं? आखिर शगुन के लिफाफे के साथ हम एक रुपए का एक्स्ट्रा सिक्का क्यों देते हैं? बता दें इसके पीछे कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि गहरा विश्वास और विज्ञान छिपा हुआ है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से लोग ऐसा क्यों करते हैं? इसके बारे में बताने जा रहे हैं। किस वजह से शगुन के लिफाफे में देते हैं 1 रुपए का एक्स्ट्रा सिक्का?
1. हम सभी ने कई बार शगुन के लिफाफे में लोगों को एक्स्ट्रा ₹1 का सिक्का देते हुए देखा होगा। हो सकता है कि आप लोगों के मन में कभी ना कभी यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं? तो आपको बता दें कि इसके पीछे भी खास वजह है। दरअसल, संख्या शुन्य (0)अंत की प्रतीक है। जबकि संख्या एक (1) को शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शगुन में 1 रुपए का सिक्का जोड़ा जाता है, जिससे प्राप्तकर्ता को शुन्य पर ना रह जाए और वह इसके पास आ जाए।
2. जैसे कि हम लोग जानते हैं कि लोग शगुन के लिफाफे में 101, 251, 501, 1001 रकम देते हैं। यह रकम अविभाज्य हैं। इसका अर्थ है कि जब आशीर्वाद के रूप में 1 रुपए का सिक्का जोड़ कर देते हैं तो आपकी शुभकामनाएं अविभाज्य हो जाती हैं। इस प्रकार प्राप्तकर्ता के लिए वह एक रुपए वरदान साबित होता है।
3. आपको बता दें कि शगुन का ₹1 निवेश का प्रतीक भी माना जाता है। एक रुपए के अलावा शेष धनराशि को शगुन लेने वाला खर्च कर सकता है। वहां एक रुपए विकास का बीज होता है। जब हम शगुन देते हैं तो उस दौरान यही कामना करते हैं कि जो धन हम दान देते हैं वह बढ़े और हमारे प्रियजनों के लिए समृद्धि लाए। इसलिए इस एक रुपए को खुशी के साथ अपने प्रियजनों को दान देना चाहिए।
मां लक्ष्मी का अंश माना जाता है सिक्के को
1. आपको बता दें कि धातु को माता लक्ष्मी जी का अंश माना जाता है। कोई भी धातु जो धरती के अंदर से आता हैं तो उसे धन की देवी माता लक्ष्मी जी का ही अंश माना गया है। अगर शगुन के रूप में जो 1 रुपए का सिक्का दान दिया जा रहा है, वह धातु का हो तो और भी सोने पर सुहागा होता है। ऐसी स्थिति में दान देने वाले और दान लेने वाले दोनों के ही सौभाग्य में वृद्धि होती है।
2. शगुन के लिफाफे ने जो 1 रुपए का एक्स्ट्रा सिक्का दिया जाता है उसे कर्ज माना जाता है। उस 1 रुपए को देने का अर्थ यह होता है कि इसे पाने वाले पर कर्ज चढ़ गया है। अब उसे दान देने वाले से फिर से मिलना होगा और उस कर्ज को उतारना होगा। यह 1 रूपया निरंतरता का प्रतीक है, जिससे आपसी संबंध मजबूत बनते हैं।
दुख के मौके पर एक्स्ट्रा सिक्का नहीं दिया जाता
आपको बता दें कि शुभ कार्य में ही दान के रुप में यह एक रुपए का एक्स्ट्रा सिक्का दिया जाता है। दुख के मौकों जैसे श्राद्ध, बरसी, तर्पण और तेरहवीं पर कभी भी यह एक्स्ट्रा एक रुपए का सिक्का नहीं दिया जाता है। इसका मतलब यह होता है कि आप कभी नहीं चाहते कि फिर से किसी के साथ दुख का मौका आए और आपको उनसे फिर से मिलेना पड़ जाए। इसलिए दुख के मौके पर एक्स्ट्रा सिक्का नहीं देते।