नई दिल्ली (ईएमएस)। पिछले कुछ सालों में भारत में चीनी स्मार्टफोन कंपनियों की बढ़ती शक्ति और प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। इन कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग, सीमा शुल्क चोरी और आयकर चोरी जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों के परिणामस्वरूप सरकार ने इन कंपनियों पर छापेमारी की है और उनके बैंक खातों को सील कर दिया है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने चीनी स्मार्टफोन कंपनियों पर कुछ सख्त नियम लागू किए हैं, जिनमें सरकार की सबसे पहली और महत्वपूर्ण मांग यह है कि चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों का प्रबंधन भारतीय हो। इसका मतलब है कि कंपनी के प्रमुख अधिकारियों, जैसे कि सीईओ, सीओओ, सीएफओ और सीटीओ, भारतीय नागरिक होने चाहिए। दूसरा है भारतीय वितरक होना। इसके जरिए सरकार का उद्देश्य भारत में वितरण संरचना को लोकल बनाना है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार पहले चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के पास प्रत्येक राज्य में एक या दो चीनी स्वामित्व वाली और प्रबंधित वितरण कंपनियां थीं, जिन्हें एजेंट कहा जाता था।
एजेंट स्थानीय वितरकों के माध्यम से खुदरा विक्रेताओं तक सामान पहुंचाते थे। अब वीवो ने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अपने एजेंटों को खत्म कर दिया है और इन राज्यों के लिए भारतीय वितरकों को नियुक्त किया है। कंपनी की ओर से यह बदलाव अन्य राज्यों में भी किया जाएगा।