सास शब्द का जिक्र आते ही आंखों के आगे एक कर्कश महिला की छवि कौंध जाती है जो अपनी बहू पर अत्याचार करते नहीं थकती। लेकिन बदलते समय के साथ अब सास की छवि बदल रही है और सास-बहू के रिश्ते भी नए रूप ले रहे हैं। एक समय था जब सास बहु को और बहु सास को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। इन दोनों के विचारों में जमीन आसमान का फर्क होता था। लेकिन आज सास बहु के रिश्ते में काफी करीबी देखने को मिलती, यह दोनों अब सास बहु नहीं बल्कि सहेली की तरह रहने लगी हैं, और दोनों ही एकदूसरे की इज्जत भी करती हैं। दोनों एकदूसरे को समझती भी हैं।
रिश्ते में सही ताल-मेल
सास के पास पुराना अनुभव रहता है और बहू नए समय की चुनौतियों को समझती है। यह ध्यान में रखते हुए दोनों में अगर तालमेल बन जाए तो इस रिश्ते में कभी कड़वाहट नहीं आ सकती। सास और बहू दोनों का केंद्र वह व्यक्ति होता है जो एक का पुत्र और दूसरी का पति होता है। इस व्यक्ति के फर्ज दोनों के प्रति बराबर होते हैं। दोनों में से किसी को भी यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यह व्यक्ति सिर्फ उसकी ओर ही ध्यान दे और दूसरे को नजरअंदाज करे।
बहु को एक्स्ट्रा प्यार की जरूरत
बहू को अधिक प्यार की जरूरत होती है क्योंकि वह अपने माता, पिता, भाई, बहन, घर सब कुछ छोड़कर ससुराल आती है। ऐसे में उसे हर बात प्यार से बताई जाए तो उसके लिए समझने में आसानी होती है। आज सास और बहू का रिश्ता बहुत ही दोस्ताना है, दोनों मिलकर किटी पार्टी में जाती है और मजे करतीे हैं। सास अपनी बहू की उन्नति में खुश होती है। जिंदगी की हर मुश्किल परिस्थिति में, उसकी ढाल बनकर उसके साथ खड़ी रहती है। बहु भी अपनी सास के प्रतिें, सारी जिम्मेदारी निभाना बखूबी जानती है। आजकल के दौर में बहू और सास, दोनों एक दूसरे के सम्मान और महत्व को समझते हैं।
गायब हो रहा है पर्दा
सास और बहू का रिश्ता हमेशा से ही मधुरता का रहा है, मगर पहले फर्क इतना था कि पहले के टाइम में बहुत ज्यादा पर्दा प्रथा चलता था। मतलब यह कि पहले बहुएं अपने सास-ससुर के सामने बात नहीं कर सकती थी, और कोई भी बात करने में संकोच करती थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि पहले की सास बहू में प्यार और अपनापन नहीं था। पहले की बहुएं कभी भी अपने सास से जवाब नहीं करती थी, और ना ही किसी बात में बहस करती थी, भले ही उनके सास ससुर गलत ही क्यों ना कहें वह उन्हें चुपचाप सुन कर रह लेती थी। मगर आज के दौर में सास और बहू दोनों में कोई फर्क नहीं रह गया है, अब पर्दा प्रथा धीरे-धीरे खत्म हो रही है और सास और बहू दोनों ही मॉडल ख्यालात के होते जा रहे हैं, जिस वजह से इनमें किसी तरह का संकोच या डर अब नहीं रह गया है। आज ऐसी बहुएं बहुत संख्या में मिलेगी जिन्हे पहचानना मुश्किल है कि वो बहू है या बेटी।
एक दूसरे का मान रखें
हर घर के रीति-रिवाज, परंपराएं अलग-अलग होती हैं। ऐसे में बहू को यह अहसास नहीं कराना चाहिए कि हमारे घर में ऐसा होता है और यही बेहतर भी है। हम लोगों में ऐसा गलत मानते हैं। वह कहती हैं इस बात का मतलब यह हुआ कि बहू के मायके में जो होता है, गलत होता है। हर बात पर अंकुश भी नहीं लगाना चाहिए। बहू को भी चाहिए कि वह सास का मन रखे, उनका मान करे।
शिक्षा ने बदली सोच
आधुनिक समय में आज सास और बहू के रिश्तों में अपनापन और मधुरता बढ़ी है। इसका कारण है शिक्षित महिलाएं। कहा जाता है कि सास और बहू नदी के दो किनारे होते है जिनका मेल कभी नहीं हो सकता है। हर रिश्ते को बनने में समय, धीरज और मेहनत लगती है। अगर पति-पत्नी के बीच में झगड़ा होता है तो इसका कारण सास हो ये जरूरी तो नहीं। एक दूसरे के प्रति विश्वास रखने से रिश्ते हमेशा पनपते है। बहुत सी ऐसी बहुएं है जिनके सपनों को उड़ान उनकी सास ने दी है। कारण यही है कि आज के दौर में पहले जितनी सख्ती नहीं और अपनत्व बढ़ा है।