-विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, स्किन केंसर का भी हो सकता है खतरा
नई दिल्ली (ईएमएस)। कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी स्वाथ्य के लिए बेहद घातक है। ये लाइट्स इंसान के रेटिना को नुकसान पहुंचाती है और मैक्युलर डीजनरेशन की वजह बन सकती है। इसके साथ ही स्किन केंसर का खतरा भी हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों द्वारा अभी भी इस पर रिसर्च जारी है। डिजिटल उपकरणों की वजह से आंखों पर पड़ने वाला तनाव इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम इन उपकरणों का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं। लंबे समय तक इनका उपयोग करने से आंखों में खुश्की, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी आना, सिर में दर्द और पलकें झपकने की दर कम होना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। जानकारों का कहना है कि इन खतरनाक ब्लू लाइट का असर सिर्फ आंखों पर ही नहीं पड़ता बल्कि इससे ओवरऑल सेहत प्रभावित होती है। दरअसल नीली रोशनी हमारे शरीर के जागने और सोने के नेचुरल सर्कल को प्रभावित करती है। लम्बे समय तक डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में खासतौर पर रात के समय रहने से नींद डिस्टर्ब हो सकती है। नींद में किसी भी तरह की बाधा शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर डालती है। इसलिए बहुत जरूरी है रात में सोने से 2-3 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बना लें।
शरीक के स्किन सेल्स को फोन, लैपटॉप और टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी प्रभावित कर सकती है। रिसर्च के अनुसार, अगर 1 घंटे से ज्यादा तक ब्लू लाइट के संपर्क में रहते हैं, तो यह आपकी स्किन सेल्स को बदलना शुरू कर देता है। इससे त्वचा पर काले धब्बे पड़ जाते हैं, आंखों में लालिमा, सूजन और सूखापन की प्रॉब्लम हो सकती है। झुर्रियां व फाइन लाइंस बनने लगती हैं, वक्त से पहले बुढ़ापा नजर आने लगता है। इतना ही नहीं बल्कि लंबे समय तक ब्लू लाइट के संपर्क में आना स्किन कैंसर के खतरे भी तेजी से बढ़ा सकता है। एक रिसर्च में भी यह पाया गया है कि लंबे समय तक लो एनर्जी वाली ब्लू लाइट अल्ट्रावॉयलेट रेज से भी ज्यादा स्किन की गहराई में जा सकती हैं, जिसके कारण स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
बचाव की बात करें तो आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए, स्वस्थ आदतें अपनाएं। काम के बीच-बीच में ब्रेक लें। इसके लिए 20-20-20 का नियम अपनाएं। यानि हर 20 मिनट मिनट के बाद कम से कम 20 सेकेंड के लिए डिजिटल डिवाइस से 20 फीट दूर हो जाएं। इससे आंखों को आराम मिलता है, आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है। कई रिसर्च में ये पाया गया है कि नीली रोशनी को रोकने वाले चश्मे आंखों को सुरक्षा देते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलोजी कम्प्यूटर के इस्तेमाल के लिए इस तरह के विशेष चश्मे के उपयोग की सलाह नहीं देती। हालांकि इन चश्मों से नीली रोशनी का सीधा संपर्क कम होता है, लेकिन आंखों के स्वास्थ्य पर इनके प्रभाव के कोई प्रमाण नहीं हैं।