दशहरे पर आज देशभर में बुराई के प्रतीक रावण के पुतलों का दहन किया गया। कई जगहों पर बारिश के चलते पुलते गल गए या टेढे हो गए। हरियाणा के यमुनानगर में रावण का पुतला लोगों पर गिर गया। यहां के मॉडल टाउन के दशहरा ग्राउंड में जब रावण के पुलते में आग लगाई गई, तो ज्यादा ऊंचाई होने के चलते पुतले का ढांचा टेढ़ा होने लगा।
पुतले की लकड़ियों को शुभ मानकर उन्हें घर ले जाने के मकसद से लोग पुतले की तरफ बढ़े तो पुतला लोगों पर ही गिर पड़ा। पुतले की लकड़ियों से वहां मौजूद लोगों को हल्की खरोंचे आई हैं। हालांकि पुलिस का कहना है कि इस हादसे में किसी को काई नुकसान नहीं पहुंचा है।
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कई जगह बारिश के चलते गल गए पुतले
UP, बिहार सहित कुछ राज्यों में बारिश के चलते दशहरा आयोजनों में बाधा आई। कहीं-कहीं रावण के पुतले गल गए या टेढ़े हो गए। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, अयोध्या, मथुरा और मुजफ्फरनगर में धूमधाम से दशहरा मनाया गया। वाराणसी में 75 तो अयोध्या में 22 फिट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। मथुरा में ठाकुर राजाधिराज द्वारकाधीश ने घोड़े पर बैठकर रावण का वध किया। रावण के पुतले का दहन होते ही जय श्रीराम के नारे लगे। वहीं, बारिश और तेज हवा की वजह से कई जगहों पर रावण के पुतले ढह गए हैं। मथुरा सदर बाजार और मुजफ्फरनगर में रावण का पुतला हवा से गिर गया।
पटना में दहन से पहले गिर गया रावण का पुतला
बिहार की राजधानी पटना में CM नीतीश कुमार ने रावण दहन किया। पटना के गांधी मैदान में रावण दहन से पहले रावण का पुतला धड़ाम हो गया। इसके बाद वहां मौजूद भीड़ जमकर तालियां बजाने लगी। लोग हंसने लगे। हालांकि, रावण दहन के लिए आयोजकों ने क्रेन की मदद से फिर से रावण को खड़ा कर दिया है। इसके बाद रावण दहन हुआ।
देखें रावण दहन की तस्वीरें…
दिल्ली: दिल्ली के रामलीला मैदान पर रावण के पुतले का दहन किया गया। इस मौके पर दिल्ली के राम लीला मैदान में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दशहरा समारोह में शामिल हुए।
छत्तीसगढ़: 622 साल पहले महाराजा पुरषोत्तम ने शुरू की थी परम्परा बस्तर दशहरा की परंपरा
बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा की परम्परा 622 साल से जारी है। बस्तर के इतिहासकारों के मुताबिक 1400 ईसवीं में राजा पुरषोत्तम देव ने इस परम्परा की शुरुआत की थी। बस्तर के महाराजा पुरषोत्तम ने जगन्नाथ पूरी जाकर रथपति की उपाधि प्राप्त की थी। बस्तर में नवरात्रि के दूसरे दिन से सप्तमी तक माईं जी की सवारी (डोली छत्र ) को परिक्रमा लगवाने वाले इस रथ को फूल रथ के नाम से जाना जाता है। दंतेश्वरी माईं के मंदिर से माईंजी के छत्र और डोली को रथ तक लाया जाता है। इसके बाद बस्तर पुलिस के जवानों द्वारा बंदूक से सलामी देकर इस रथ की परिक्रमा का आगाज किया जाता है।