
पहलगाम में 26 हिंदुओं के नरसंहार के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को नष्ट कर दिया. इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. इस सफलता के पीछे खुफिया जानकारी की अहम भूमिका थी, और अब भारत सरकार ने अपनी खुफिया जानकारी जुटाने की ताकत और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है.
भारत सरकार अब अपना जासूसी सैटेलाइट सिस्टम मजबूत करने की योजना बना रही है. इसके लिए सरकार ने तीन निजी कंपनियों—अनंत टेक्नोलॉजीज, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स और अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर सैटेलाइट बनाने का काम शुरू किया है. पहले इसे पूरा करने के लिए चार साल का समय दिया गया था, लेकिन अब इसे घटाकर 12-18 महीने कर दिया गया है. इसका मतलब है कि ये सैटेलाइट्स 2026 तक या उससे पहले तैयार हो जाएंगी. यह योजना भारत की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
22000 करोड़ का प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट लगभग 22,500 करोड़ रुपये (3 अरब डॉलर) का होगा और इसे “स्पेस बेस्ड सर्विलांस (एसबीएस-3)” प्रोग्राम कहा जा रहा है. अक्टूबर 2024 में इस प्रोजेक्ट को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत 52 जासूसी सैटेलाइट्स बनाए जाएंगे. इनमें से 31 सैटेलाइट्स तीन निजी कंपनियां बनाएंगी, जबकि बाकी 21 सैटेलाइट्स भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) बनाएगा. इन सैटेलाइट्स का मुख्य काम भारत की सीमाओं, खासकर पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखना होगा. साथ ही, ये सैटेलाइट्स प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ या भूकंप में भी मदद करेंगी.
एलन मस्क की कंपनी का सहयोग
इन सैटेलाइट्स का निर्माण विभिन्न चरणों में किया जाएगा. कुछ सैटेलाइट्स की डिजाइन और डेवलपमेंट अनंत टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां करेंगी. ये कंपनियां पिछले एक साल से इस प्रोजेक्ट के बारे में जागरूकता फैला रही हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा तकनीकी विशेषज्ञ इसमें शामिल हो सकें. सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए ISRO के सतीश धवन स्पेस सेंटर का उपयोग किया जाएगा. लॉन्चिंग के लिए दो विकल्प हैं: ISRO का भारी रॉकेट (LVM3) या एलन मस्क की कंपनी SpaceX का रॉकेट. इन दोनों रॉकेट्स से सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में भेजा जाएगा.
भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम
यह प्रोजेक्ट भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि यह सैटेलाइट सिस्टम भारत के लिए एक बड़ा कदम है, क्योंकि यह न केवल देश की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी बेहतर बनाएगा. यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर भी है, क्योंकि इससे निजी अंतरिक्ष कंपनियों को बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिलेंगे, और भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल करने का मौका मिलेगा.