
जुलूस के साथ शंख घड़ियाली और बैंड बाजे की धुन पर खूब थिरके बच्चे
देर शाम मंदिरो में फोड़ी गई मटकी जुटी भीड़
जरवल/बहराइच। हिंदू उत्सव समिति जरवल के अध्यक्ष सचिन गर्ग के अगुवाई में जन्माष्टमी के दूसरे दिन देर शाम को हिंदुओं के घर पहुंच कर मटकी से जल छिड़का गया। जुलूस के साथ शंख घड़ियाल के अलावा बैंड बाजा की धुन पर बच्चे भी खूब थिरके और देर शाम को बच्चों के साथ मटकी फोड़े गई।
द्वापर युग से चली आ रही ये प्रथा
जरवल। बताते चलें दही हांडी या मटकी फोड़ने की प्रथा भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से प्रेरित है, जो माखन और दही चुराने की उनकी शरारतों से जुड़ी है। यह प्रथा जन्माष्टमी के अगले दिन, “दही हांडी” उत्सव के रूप में मनाई जाती है। जिसमें “गोविंदा” नामक लड़के मटकी तक पहुंचने के लिए मानव श्रृंखला बनाते हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर गोपियों के घरों से माखन और दही चुराते थे। गोपियों ने परेशान होकर मटकी को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया। लेकिन कृष्ण अपने साथियों के साथ मिलकर पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंचने में सफल हो जाते थे।इसलिए हर साल जन्माष्टमी के बाद दही हांडी उत्सव मनाया जाता है। जो कृष्ण की शरारतों और उनकी बाल लीलाओं का स्मरण कराती है।